कांगड़ा किले को नगर कोट के नाम से भी जाना जाता है। जिसका निर्माण काँगड़ा के मुख्य साही परिवार ने कराया था। समुद्र स्तर से 350 फुट की ऊंचाई पर स्थित ये किला 4 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है। ये किला आज जहाँ स्थित है उसे पुराना काँगड़ा भी कहा जाता है।
ये काँगड़ा शहर से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है , ये किला जितना सुन्दर है उनता ही इसका ऐतिहासिक महत्त्व भी है। इस किले का वर्णन महाभारत में भी है साथ ही ये भी कहा गया है की जब महान यूनानी शासक अलेक्जेंडर ने यहाँ आक्रमण किया तब भी ये किला यहाँ मौजूद था।
ये किला दो प्रमुख नदियों बानगंगा और मांझी नदी के पास बना हुआ है। ये किला दो विशाल और मोटी दीवारों से घिरा है। इस किले में जाने के लिए पहले आगंतुक को एक छोटे से बरामदे में से होकर गुजरना होगा जहाँ किले के दो प्रमुख द्वारा उसके मार्ग में पड़ेंगे। बताया जाता है की ये किला सिख अवधि का है और इसे पटक या रंजीत सिंह द्वार के भी नाम से जाना जाता है।
इस किले के शीर्ष पर व्यक्ति अहनी और अमीरी अहनी के माध्यम से जा सकता है। काँगड़ा के पहले गवर्नर नवाब अलिफ़ खान ने इस किले के द्वारों का निर्माण कराया था। यहाँ आने वाले पर्यटक इस किले में वॉच टावर , लक्ष्मी नारायण मंदिर और आदिनाथ मंदिर के भी दर्शन कर सकते हैं।