गुरु घंटाल मठ की स्थापना गुरु पद्मसंभव ने 8 वी सदी में की थी। इसे घंढोल मठ भी कहा जाता है। केलांग से 8 कि.मी दूर लाहौल जिले में स्थित यह मठ सब से प्राचीन और पवित्र धार्मिक स्थान है। मठ में बनी लकड़ी की मूर्तियाँ मठ के प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। मठ की निर्माण शैली काफी अलग है। इसकी छत पिरामिड आकार की है और मठ में कई नक्काशियां की गयी है।
मत की अवस्था ठीक न होने के कारण यहाँ की कई मूर्तियाँ तुपचिलिंग गाँव के मठ में रखी गई है।चन्द्र और भंगा नदी के किनारे बने इस मठ में बौधिसत्व और भगवन बुद्ध के करुना के प्रतिक अवलोकितेश्वर की क्षतिग्रस्त संगमरमर का सर है।
इस मठ का इतिहास 2 शताब्दी में नागार्जुन के समय का है। इस मठ में काले पत्थर की काली माँ की मूर्ति है, जिससे पता चलता है कि यह मठ पहले एक मंदिर था।