यह धार्मिक और प्राचीन मठ हिमाचल के केलांग से 6 कि.मी दूर है। समुंदरी तट से 3900 मीटर ऊँचा सतिन्ग्री गाँव का यह मठ केलांग का सब से प्राचीन मठ है।इस मठ का निर्माण खाम शेत्र के ड़ोग्पा लामा, सेर्ज़ंग रिन्चन ने17 वी सदी में किया था।
तिब्बती में ता-युल का अर्थ है "चुनी हुई जगह"। इस मठ में 12 फीट ऊँची पद्मसंभव की मूर्ति के साथ सिंहमुख और वज्रवहत की मूर्ति भी रूपित है। इस मठ का प्रमुख आकर्षण है यहाँ कि लाखों साल पुरानी मणि चक्र जो कई बौद्ध अवसरों पर स्वयं घुमती है। तायुल के लामा अनुसार यह 1986 में स्वयं घूमी थी ।