मैसूर महल को अंबा विलास महल के नाम से भी जाना जाता है। इस महल में इंडो-सारासेनिक, द्रविडियन, रोमन और ओरिएंटल शैली का वास्तुशिल्प देखने को मिलता है। इस तीन तल्ले महल के निर्माण में निर्माण के लिए भूरे ग्रेनाइट, जिसमें तीन गुलाबी संगमरमर के गुंबद होते हैं, का सहारा लिया गया है। महल के साथ-साथ यहां 44.2 मीटर ऊंचा एक पांच तल्ला टावर भी है, जिसके गुंबद को सोने से बनाया गया है।
यह महल विश्व के सर्वाधिक घूमे जाने वाले स्थलों में से एक है। इसका प्रमाण इस बात से भी मिलता है कि न्यूयॉर्क टाइम्स ने इसे विश्व के 31 अवश्य घूमे जाने वाले स्थानों में रखा है। आप इस महल में गोंबे थोटी या डॉल्स पवेलियन से प्रवेश कर सकते हैं। इस प्रवेश द्वार पर 19वीं और 20वीं शताब्दी की बनी गुड़ियों का एक समूह रखा गया है।
इसके अलावा यहां एक लकड़ी का बना हाथी हौदा है, जिसे 81 किलो सोने से सजाया गया है। गोंबे थोटी के सामने दशहरा के मौके पर समारोह का समापन किया जाता है और 200 किलो के मुकुट को आम लोगों के लिए प्रदर्शित किया जाता है।
महल में आप उन कमरों को भी देख सकते हैं जिनमें शाही वस्त्र, छायाचित्र और गहने रखे गए हैं। साथ ही महल के दीवार को सिद्धलिंग स्वामी, राजा रविवर्मा और के. वेंकटप्पा के पेंटिंग्स से सजाया गया है। 14वीं से 20वीं शताब्दी के बीच बनाए गए मैसूर महल में 12 मंदिरें भी हैं, जिनमें अलग-अलग वास्तुशिल्पीय बनावट देखने को मिलती है।