इस फॉल का नाम पास के एक गांव पर पड़ा है। जोन्हा फॉल को गौतम धारा के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि गौतम बुद्ध ने यहां स्नान किया था। गौतमधारा के एक छोर पर बुद्ध को समर्पित एक मंदिर और एक आश्रम है, जिसे राजा बालदेवदास बिरला के बेटों ने बनवाया था।
हर मंगलवार और गुरुवार को यहां लगने वाला मेले भी पर्यटकों के बीच काफी चर्चित है। आश्रम के चिन्हों को देखकर इस बात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि मूल रूप से इसका निर्माण हिंदू धर्म के साथ-साथ आर्य धर्म की सभी शाखाओं, यानी बौद्ध, जैन, सिक्ख, सनातन और आर्यसमाज के लिए किया गया होगा।
स्थानीय लोग जोन्हा को गंगा नाला भी कहते हैं, क्योंकि इसकी धारा गंगा घाट से आती है। 453 कमद नीचे जाने पर आप जलप्रपात तक पहुंच जाएंगे। धारा की दूसरी तरफ कोनारडीह और दुआरसीनी गांव है।
जोन्हा जलप्रपात रांची के पठार के सिरे पर पड़ता है और इसकी गिनती ढलान वाली घाटी के जलप्रपातों में होती है। इसमें पानी गंगा और रारू नदी से आता है। यहां 43 मीटर की ऊंचाई से पानी गिरता है। इस झरने के आसपास के परिवेश को देखने के लिए सीढ़ियों से 500 कमद ऊपर जाना होगा।