मूलगंध कुटी विहार सारनाथ के नष्ट हो चुके प्रचीन निर्माणों के बीच स्थित है। इसकी वास्तुशिल्पीय शैली बेहद खास है और यह अन्य मंदिरों से बिल्कुल अलग है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि यह हाल ही में बना है। 1931 में इसे महा बोधि सोसाइटी ने बनवाया था। मंदिर के अंदर बेहद प्रभावशाली डिजाइन और पैटर्न बने हुए हैं।
साथ ही यहां आकर्षक भित्तिचित्र भी देखें जा सकते हैं। इसे जापान के एक प्रसिद्ध पेंटर कोसेत्सु नोसु ने बनाया था। विहार के प्रवेश द्वार पर तांबे की एक बड़ी सी घंटी लगी हुई है, जिसे जापान के एक साही परिवार ने उपहार में दिया था। यहां गौतम बुद्ध की सोने की एक आदमकद प्रतिमा भी रखी हुई है।
मंदिर में एक बोधि पेड़ भी है, जिसे श्रीलंका के एक पेड़ से प्रतिरोपण के जरिए यहां लगाया गया था। श्रीलंका स्थित इस पेड़ की उत्पत्ति उसी मूल वृक्ष से हुई है, जिसके नीचे बोध गया में आज से 2500 साल पहले गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।