आज भी इतिहास के पन्नों में महुआ शिव मंदिर का निर्माण एक मणि के रूप में दर्ज है। महुआ, शिवपुरी में एक अनजान गांव है जो 6 वीं से 7 वीं सदी तक किसी खजाने की तरह छुपा हुआ था। महुआ गांव, शिवपुरी के प्रसिद्ध क्षेत्र मधुमति में स्थित है जिसका उल्लेख रन्नौड के शिलालेख में मिलता है।
इस शिलालेख में इस क्षेत्र की महत्वता के बारे में बताया गया है, इसमें शैव सैद्दातिंका के अनुयायियों को संदेश दिया गया है। यहां कुछ मंदिर भी है जो काफी समय से खड़े हुए है और अपने क्षेत्र के इतिहास की गवाही देते है। यहां स्थित शिव मंडपिका इनमें से कुछ स्मारकों में से एक है जिसे 7 वीं सदी में आधा बनाया गया था।
आज भी यह मंदिर अधूर ही बना खड़ा है। 7 वीं सदी में बना यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर की वास्तुकला शैली नागरा है। मंदिर में गर्भग्रह है और मंदिर की दीवारों पर देवी गंगा व देवी यमुना का चित्रण किया गया है। यहां कई भगवानों का चित्रण नक्काशी के माध्यम से भी किया गया है।