चराईदेव की स्थापना पहले अहोम राजा चाऊ लुंग सुई-का-फा ने 1228 में की थी और यह अहोम राजवंश की पहली राजधानी था। यह जगह सिबसागर शहर से 30 किमी दूर है। अहोम वंश की राजधानी कई बार बदली गई। हालांकि चराईदेव अहोम वंश का सांकेतिक केन्द्र बना रहा।
यहां अहोम के शाही परिवर के कई कब्रिस्तान हैं, साथ ही यह अहोम के पैतृक भगवान का स्थान भी है। कब्रिस्तान की समाधि का आकार किसी छोटी पहाड़ी के जैसा दिखता है, जो कि मिस्र के पिरामिड से काफी मिलता-जुलता है। चराईदेव में करीब 150 के आसपास समाधि स्थल हैं।
असम आने वाले पर्यटकों के बीच चराईदेव एक चर्चित पर्यटन स्थल है। यहां के कब्रिस्तान उस समय के मूर्तिकार और संगतराश के बेहतरीन वास्तुशिल्पीय कौशल को दर्शाते हैं। करीब 30 कब्रिस्तान भारतीय पुरातात्त्विक सर्वेक्षण और असम राज्य पुरातत्व विभाग की देखरेख में है। अगर आप सिबसागर घूमने जा रहे हैं तो यहां जाना न भूलें।