नाथ समुदाय के अनुयायियों को भगवान शिव की भक्ति के लिए जाना जाता है। उनकी आदत होती है, वह जहां भी रहते है, वहां एक शिव मंदिर बनाते है, अपना डेरा बनाते है और रहने लगते है। ऐसा ही एक मंदिर 13 वीं सदी में बनाया गया था, जिसे वर्तमान में सिरसा में हिसार द्वार के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण सारसाई नाथ ने अपने अनुयायियों के साथ िमलकर किया गया था, जो नाथ समुदाय के प्रमुख संत थे, यहां प्रार्थना, धार्मिक कर्म - कांड और ध्यान भी लगाया जाता है।
सिरसा में भोजा में पाएं गए बाबा के शिलालेख के अनुसार, नीलकंठ, पुष्पपती समुदाय के एक संत थे, शुरूआत में उन्होने सिरसा में भगवान शिव को समर्पित मंदिर बनवाया, इस मंदिर में पकी हुई ईटों और मोटे पत्थरों का इस्तेमाल किया गया, जिस पर सुनहरा शिकारा या सर्पिल लगा हुआ था। हालांकि, अब वहां मंदिर का कोई अवशेष नहीं है। बाबा सारसाई नाथ ने इस मंदिर को पुन: नए रूप में बनवाया था।
ऐसा माना जाता है कि मुगल बादशाह शाहजहां ने अपने बीमार बेटे के जल्द ठीक होने की मन्नत मांगी थी, जिस पर वह डेरा बाबा सारसाई आएं थे। उन्होने मंदिर को जमीन भी दान में दी थी और यहां निर्माण करवाकर एक गुंबद का भी बनवाई थी। डेरा प्रबंधन के पास अरबी में लिखे हुए दस्तावेज है जो उनके यहां आने के प्रमाण है। डेरा में माता दुर्गा का मंदिर भी है और भगवान शिव को भी समर्पित एक मंदिर है।