मजथल अभ्यारण्य
सोलन जिले में स्थित एक प्रसिद्द वन्य जीवन अभ्यारण्य है। लगभग 55,670 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ यह वन्यजीवन केंद्र 1962 में पहली बार अभ्यारण्य घोषित किया गया। 1974 में हिमाचल प्रदेश सरकार ने इसे पुन: अभ्यारण्य अधिसूचित किया।
इस अभ्यारण्य में विभिन्न प्रजातियों के पौधों और जीव जंतु पाए जाते हैं। हालांकि यह मुख्य रूप से अपने गोरल और सुंदर तीतरों के लिये प्रसिद्द है। गोराल एक छोटा जानवर होता है जिसके सींग बकरी के सींग के समान बेलनाकार होते हैं जबकि तीतर लंबी पूँछ वाला एक पक्षी होता है। यहाँ पाए जाने वाले जानवरों में चीता, हिमालय का काला भालू, बार्किंग हिरण, हिमालयीन सीविट, जंगली बिल्ली, पीले गले का नेवला, भारतीय जंगली भालू और लंगूर आदि आते हैं। दुर्लभ पक्षी जैसे काला फ्रेंकोलिन और पूर्वी सफ़ेद पीठ वाला गिद्ध भी इस अभ्यारण्य में देखे जा सकते हैं।
यात्री इस अभ्यारण्य तक
शिमला – बिलासपुर रोड़ द्वारा पहुँच सकते हैं। क्योंकि इस अभ्यारण्य तक परिवहन की सीधी सुविधा उपलब्ध नही है अत: पर्यटकों को कशलोग में रुकना पड़ता है जो
शिमला बिलासपुर रोड़ पर आता है और उसके बाद यहाँ से अभ्यारण्य तक पैदल जाना पड़ता है। इस अभ्यारण्य की सैर के लिये ठंड का मौसम उत्तम माना जाता है। यहाँ आवास जंगल घरों के रूप में उपलब्ध हैं।