श्रीरंगापट्नम की यात्रा पर आए यात्रियों को श्रीरंगापट्नम का किला अवश्य देखना चाहिए जो कि 1537 में सामंत देवगौड़ा ने बनवाया था।यह किला कावेरी नदी के बीच एक उपद्वीप पर बना है जिसे टीपू सुल्तान का किला भी कहते हैं और यह भारतीय-इस्लामिक वास्तुकला शैली को दर्शाता है। इस किले के चार प्रवेशद्वार-दिल्ली, बंगलोर, मैसूर तथा जल व गज हैं।
किले में सुरक्षा की दृष्टि से दोहरी दीवार सुरक्षा प्रणाली अपनाई गई है। किले का मुख्य आकर्षण इसका प्रवेशद्वार है जिसपर किले की स्थापना तिथि की नक्काशी पारसी में की गई है। सर राबर्ट कैर द्वारा बनाई गई सुंदर व सौम्य चित्रकला जैसे-‘ श्रीरंगापट्नम का तूफान‘ भी किले की दीवारों पर देखी जा सकती है।
इस किले में ‘चतुर्विमसति स्तंभ‘ है जिनपर भगवान विष्णु के 24 अवतार खुदे हुए हैं।किले के निचले कक्ष में एक कालकोठरी है जिसका प्रयोग अंग्रेज़ जेल के रूप में करते थे। पर्यटक इस किले में स्थित श्रीरंगनाथस्वामी मंदिर और एक मस्जिद भी देख सकते हैं।