विरालिमलाई मरुगन मन्दिर त्रिची शहर के केन्द्र में विरालिमलाई शहर पर स्थित है। मन्दिर तक 207 सीढ़ियों द्वारा पहुँचा जा सकता है। मन्दिर के रास्ते पर कई मण्डप हैं जो यात्रियों के लिये आराम करने के कमरे हैं। यहाँ किये जाने वाले अनुष्ठानों में भगवान दण्डायुधापाणि को सिगार देने की परम्परा है। यह सिगार चन्दन के लेप का बना होता है। यह मन्दिर के प्रमुख अनुष्ठानों में से एक है।
मन्दिर चारों ओर से बागों और कुरा पेड़ों से घिरा है। इन पेड़ों का उपयोग प्राचीन योगियों और साधुओं द्वारा विरालिमलाई मुरुगन मन्दिर में पूजा के लिये किया जाता था। मन्दिर के आसपास मोर देखे जा सकते हैं। मन्दिर परिसर के अन्दर ही नारद मुनि और कश्यप ऋषि की मूर्तियाँ हैं। मन्दिर के स्तम्भों पर अरूमुगन और अरूणागिरिनाथार के चित्र तराशे गये हैं।