विदिशा के ग्यारसपुर में एक प्रचीन मंदिर के टुकड़े बिखरे पड़े हैं। उत्कृष्ट तरीके से नक्काशीयुक्त इस संरचना को हिंडोला तोरण नाम से जाना जाता है। हिंडोला का अर्थ होता है- झूलना और तोरण का अर्थ होता है- छोटा दरवाजा। लेकिन इस उत्कृष्ट निर्माण में झूलने जैसा कुछ भी नहीं है।
हिंडोला नाम इसलिए पड़ा, क्योंकि यह दो स्तम्भों पर टिका है। हिंडोला तोरण फिलहाल बर्बाद हो चुके एक मंदिर का प्रवेश द्वार हुआ करता था। इस प्रवेश द्वार के जो अवशेष बचे हैं, उनमें दो स्तंभ और उसके ऊपर एक बीम है। इसके अलावा एक और छोटा सा सजावटी बीम भी है, जो दो स्तंभों को अंत में एक दूसरे से जोड़ता है।
दोनों ही बीमों की सजावट के लिए उन पर पौराणिक चित्रों को उकेरा गया है। स्तंभों पर दशावतार की जटिल नक्काशी देखी जा सकती है। इन स्तंभ पर एक बौद्ध सूर्य की भी नक्काशी की गई है, जिससे हिंडोला तोरण हिंदू और बौद्ध वास्तुशिल्प तत्वों के मिश्रण से एक दुर्लभ संरचना बन जाता है।