दौलत खाना एक प्रसिद्द आयताकार स्थान है जिसे अब एक सरकारी संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है। इस संग्रहालय में मुगल और राजपूत हथियारों का बहुत बड़ा संग्रह है और इसके अलावा यहाँ इस क्षेत्र की कई नाज़ुक मूर्तियाँ भी हैं। सन 1613 और 1616 के बीच यह स्थान मुग़ल बादशाह अकबर और जहाँगीर की दरगाह शरीफ़ यात्रा के दौरान उनका निवास स्थान हुआ करता था।
यह संग्रहालय मोटी दीवारों से घिरा हुआ है और इसके बाहर एक बोर्ड रखा हुआ है जिस पर सर थॉमस रोए लिखा हुआ है जो यहाँ के बादशाह द्वारा वैध पहले अंग्रेज़ राजदूत थे। आठवीं शताब्दी की हिंदू मूर्तियों के साथ राजपूत और मुग़ल हथियार इस संग्रहालय के प्रमुख आकर्षण हैं। इस संग्रहालय में रखी गई देवी काली की मूर्ति इस संग्रहालय की शोभा बढ़ाती है।
इस संग्रहालय की स्थापना 1908 में लॉर्ड कर्ज़न और सर जॉन मार्शेल की पहल पर की गई जिसे “मैगज़ीन” के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ कई मूर्तियों का संग्रह है जो पुष्कर, आधे दिन का झोपड़ा, बघेरा, पिसंगन, हर्षनाथ (सीकर) भरतपुर, सिरोही, अरथुना और ओशियन की हैं। इस संग्रहालय में पूर्व ऐतिहासिक अवशेष और लोहे के अवशेष और उनके फोटो भी हैं जो सिंधु घाटी में मोहन जोदड़ो की खोज के दौरान मिले थे।
सार्वजनिक छुट्टियों को छोड़कर संग्रहालय सुबह 10 बजे से शाम 4:30 बजे तक (शनिवार से गुरूवार) खुला रहता है। भारती नागरिकों के लिए प्रवेश शुल्क 5 रूपये है और विदेशियों के लिए 10 रूपये है।