अकबर का महल और संग्रहालय, 1570 ई. में बनाया गया और यह राजस्थान के सबसे मजबूत किलों में गिना जाता है। इसका प्रयोग मुगल सम्राट जहाँगीर और मुगल दरबार के अंग्रेज राजदूत सर थॉमस रो, की बैठक की जगह के रूप में किया गया था। यह महल बादशाह एवं उनके सैनिकों के लिए निवास स्थान के रूप में प्रयुक्त होता था जब वे अजमेर में होते थे।
1908 में इसे संग्रहालय में बदल दिया गया, जिसमें छठी एवं सातवी शताब्दी एवं उसके बाद की कई हिन्दू मूर्तियाँ रखी हुई हैं। इन मूर्तियों की अधिकतर बनावट राजपूत और मुगल शैली के मिश्रण को दर्शाती है।
काले संगमरमर से बनी देवी काली की एक बड़ी प्रतिमा यहाँ का सबसे प्रसिद्ध आकर्षण है। प्राचीन सैन्य और युद्ध उपकरण, प्राचीन तोपखाने और हथियार, मूर्तियाँ और पत्थर की मूर्तियाँ भी इस संग्रहालय में देखी जा सकती है।