चिकमंगलूर आये हुए यात्री कोदंडा मंदिर भी जा सकते हैं। यह मंदिर फरवरी माह में यहां आयोजित होने वाले अपने वार्षिकोत्सव(जात्रा) के लिए लोकप्रिय है। यह विरासत स्मृति स्थल तीन चरणों में पूरा हुआ था। कोदंडा रामास्वामी मंदिर होयसल वास्तुकला शैली का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि सुकानासी एवं गर्भगृह की कला एवं शैली द्रविड़ों की है। तीर्थ स्थल में मंदिर के किनारे एक सूखा तालाब दिखाई पड़ता है।
कोदंडा रामास्वामी मंदिर का प्रवेश द्वार 17वीं शताब्दी का बना हुआ है। इस मुखमन्तप 16वीं सदी के दौरान बनाया गया था, जबकि नवग्रह 14वीं सदी का बना हुआ है। भक्तों को यहां भगवान राम, लक्ष्मन तथा सीता की मूर्तियां एवं गर्भगृह में हनुमान जी के पदचिन्ह् दिखाई पड़ते हैं।
मंदिर से सटे क्षेत्र जिसे प्रकार कहा जाता है, में मुद्दुकृष्णा, योगनरसिम्हा, रामानुजाचार्य, दिशिखा, सुग्रीव, वेदान्त एवं माधव की मूर्तियां हैं। ये सभी मूर्तियां चालुक्य तथा पूर्व होयसल अवधि की हैं। ध्यान से देखने पर पर्यटकों को सुकानासी तथा गर्भगृह की बाहरी दीवारों पर विष्णु के सभी रूपों- नरसिम्हा, वेणुगोपाल, कालिया-मरदाना, हयग्रीव, गोवर्धनधारी तथा लक्ष्मीनारायण के मंत्र व लेख देखने को मिलेंगे।