चिकमंगलूर की यात्रा के दौरान समय मिलने पर आगन्तुक इस टाउन के उत्तर में 67 किमी दूर स्थित अमरूतेश्वर मंदिर भी देख सकते हैं। यह तीर्थ स्थल 1196 में वीर बल्लाल द्धितीय (होयसल राजा) के शासनकाल के दौरान बनवाया गया था। मंदिर का नामकरण इस मंदिर के शिल्पी, अमरूतेश्वर दंडनायक के नाम पर हुआ है। अमरूदेश्वर मंदिर में एक एककुत डिजायन वाला विमान(पूजा स्थल), एक विशाल खुला मन्तप (हाल) तथा खुले हाल से जुड़ा हुआ एक बंद मन्तप है।
बंद मंतप में एक आंगन व नौ कक्ष हैं, जबकि खुले मंतप में उनतीस कक्ष हैं। यहां आगन्तुकों को मंदिर में कीर्तीमुख (राक्षसी चेहरे) वाली मूर्तियां देखने को मिलती हैं। अमरूतेश्वर मंदिर का मुख्य आकृषण यहां स्थित खराद के बने खम्भे हैं, जो मंदिर की छतों को सहारा देते हैं। ध्यान से देखने पर पता चलता है कि मंतप की अन्दरूनी छत पर फूलों के आकार वाली नक्काशी की हुई है।
खुले मंतप में 140 पैनल हैं जो हिन्दु पौराणिक चरित्रों को प्रदर्शित करते हैं। दीवार का उत्तरी कोना महाभारत की महत्वपूर्ण घटनाओं तथा भगवान कृष्ण के जीवन को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, महाकाव्य रामायण की घटनाओं को भी घड़ी के विपरीत दक्षिणावर्त दीवार पर प्रदर्शित किया गया है। पर्यटक अमरूतेश्वर मंदिर के नजदीक ही स्थित भद्रा नदी बांध का भी भ्रमण कर सकते हैं।