बोरघाट मंदिर जयंतिया हिल्स के बोरघाट गांव में स्थित है। यह मंदिर बांग्लादेश सीमा से काफी करीब है। 1880 तक यह अपने संपूर्ण स्वरूप में था। 1897 में आए भूकंप के बाद से यह जीर्ण-शीर्ण अवस्था में आ गया है। हालांकि इसके बाद भी यहां श्रद्धालुओं का आना कम नहीं हुआ।
...पर्यटन के रूप में रूपारसोर स्नान घाट की ज्यादा प्रसिद्धि नहीं है। जोवाई में यह जोवाई-मुक्तापुर रोड पर स्थित है। यह घाट दावकी से सिर्फ 8 किमी दूर है। यह स्नान घाट ग्रेनाइट से घिरा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि इसे तत्कालीन जयंतिया राजा के आदेश पर दो संगतराश यू लुह...
कभी नारतियांग जयंतिया राजाओं की राजधानी हुआ करता था। आज यहां पूरे विश्व से पर्यटक व श्रद्धालु यहां की प्राचीन संस्कृति और धर्म को करीब से देखने के लिए आते हैं।
नारतियांग में स्थित दुर्गा मंदिर जयंतिया साम्राज्य में हिंदू धर्म की उपस्थिति को सुनिश्चित करता...
भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित दावकी जयंतिया हिल्स का एक छोटा सा कस्बा है। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से कोयले को भारत से बांग्लादेश पहुंचाने के लिए किया जाता है। पीक सीजन के दौरान हर दिन करीब 500 से ज्यादा कोयले से भरे ट्रक सीमा पार जाते हैं।
दावकी जाने के...
उमलावन गुफा जोवाई से 60 किमी पूर्व की दिशा में लुमशनोंग गांव में स्थित है। ऐडवेंचर को पसंद करने वाले पर्यटकों के बीच यह जगह काफी चर्चित है। यह गुफा काफी समय तक लोगों की जानकारी में नहीं थी। हाल ही में इसके बारे में पता चला है। एक सव्रे से पता चलता है कि यह पूरे...
कियांग नोंगबाह स्मारक का निर्माण यू कियांग नोंगबाह नामक देशभक्त की स्मृति में किया गया था। जयंतिया को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र कराने के लिए हुए संघर्ष में उन्होंने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। इस ऐतिहासिक स्मारक का निर्माण एक विशाल मैदान,जिसे मादियाह कमाई बलाई...
करंग सुरी फॉल जोवाई के सिविल सब-डिवीजन अमलारेम में स्थित है। यूं तो इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में झरने पाए जाते हैं, पर इन सब के बीच करंग सुरी फॉल सबसे खूबसूरत है। बड़े-बड़े चट्टानों और हरियाली से घिरा यह झरना किसी भी इंसान को रोमांटिक बनाने के लिए काफी है। यह...
तिरशी फॉल मेघालय का एक ऐसी पर्यटन संपदा है, जिसके बारे में लोग काफी कम जानते हैं। यह जोवाई-शिलांग रोड के पास ही स्थित है। इस खूबसूरत झरने से पानी काफी तेजी के साथ गिरता है, जिससे ऐसा लगता है कि मानो बहुत विशाल सफेद पर्दा लगा दिया गया हो।
यह झरना करीब 2000...
इअलोंग पार्क जोवाई से 8 किमी दूर है। इस पार्क में बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। हालांकि पार्क की कई खासियतें विहंगम पिंथोवा घाटी के कारण नजरअंदाज हो जाती हैं।
जिला प्रशासन द्वारा स्पेशल डीआरडीए टूरिज्म प्रोजेक्ट के जरिए इस पार्क का नियमित रूप से नवीनीकरण...
यू लुम सुनाराजा जयंतिया हिल्स में उमकियांग गांव के पास है। शिलांग से सड़क मार्ग से यहां पहुंचने में 3 घंटे 12 मिनट का समय लगता है। यू लुम सुनाराजा पहाड़ियों की हरयाली देखते ही बनती है। साथ ही इस हरियाली के बीच से एक घुमावदार झील भी है।
यहां के स्थानीय...
इवमूसियांग को पवित्र पत्थरों के स्थान के रूप में भी जाना जाता है। साथ ही यहां जयंतिया हिल्स का सबसे बड़ा बाजार भी लगता है। बाजार के बीच में एक पवित्र पत्थर है, जिसके आधार पर इस स्थान का नामकरण हुआ है। स्थानीय त्यौहार बेहदीनखलम के दौरान लोग इस पत्थर के चारों को...
थलुमुवी पत्थर का पुल का निर्माण जयंतिया राजा के आदेश के अनुसार यू मार फलिंगकी और यू लुह लिंगसकोर लामारे द्वारा किया गया था। जयंतिया राजा ने अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी को सुतंगा से नारतियांग स्थानांतरित कर दिया। इसलिए ग्रीष्मकालीन राजधानी नारतियांग और नियमित राजधानी...
उमहांग झील मेघालय के जयंतिया हिल्स जिले के वताव (बतोव) में है। अपने आस-पास के वातावरण में घुल मिलकर उमहांग झील बेहद खूबसूरत दिखाई देता है। साथ ही यह चारों तरफ से घने जंगलों से घिरा हुआ है।
इतिहास की माने तो यू सजार नंगली और उनके अनुयायी एक बार उस स्थान पर...
खिम मू स्नियांग जयंतिया हिल्स जिले का एक चर्चित पर्यटन स्थल है। स्थानीय भाषा में मू का अर्थ होता है- पत्थर और स्नियांग का अर्थ होता है- सूअर। यहां एक सूअर के आकार का चट्टान होने के कारण इसका नाम खिम मू स्नियांग पड़ा है। जयंतिया समुदाय के लोग इस पत्थर की पूजा करते...
जयंतिया भाषा में सिंतु कसियर का अर्थ होता है- सुनहरा फूल। यही वह स्थान है जहां से स्वतंत्रता सेनानी कियांग नोंगबाह ने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष की शुरुआत की थी। यह जगह मिंतदु नदी के किनारे पर स्थित है। आज के समय में स्थानीय लोगों में सिंतु कसियर एक पिकनिक स्थल के...