थलुमुवी पत्थर का पुल का निर्माण जयंतिया राजा के आदेश के अनुसार यू मार फलिंगकी और यू लुह लिंगसकोर लामारे द्वारा किया गया था। जयंतिया राजा ने अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी को सुतंगा से नारतियांग स्थानांतरित कर दिया। इसलिए ग्रीष्मकालीन राजधानी नारतियांग और नियमित राजधानी जयंतियापुर के बीच आवागमन के लिए राजा ने अपने लेफ्टिनेंट यू लुह लिंगसकोर लामारे और यू मार फलिंगकी को इन दो स्थानों को जोड़ने के लिए अश्वमार्ग बनाने का आदेश दिया।
यह अश्वमार्ग थलुमुवी धारा पर बने भव्य पत्थर के पुल के रूप में सामने आया। इस पुल को ढेरों पत्थर की पट्टियों से बना गया है, जिसे सहारा देने के लिए भारी और लंबे पत्थर का प्रयोग किया गया है। कुछ सदी बाद जब एक हाथी के व्यापारी इस पुल पर से कुछ हाथियों को पार कर रहा था, तभी एक पत्थर की पट्टी टूट गई। हालांकि इसके वावजूद यह पुल आज भी मजबूती के साथ टिका हुआ है। थलुमुवी धार के पास ही मुवी जलप्रपात है, जिससे यहां का नजारा और भी विहंगम हो उठता है।