यदि आपको हरियाली सदा ही आकर्षित करती है तो आपको उखरुल ज़रूर आना चाहिए। उखरुल जि़ले का जि़ला मुख्यालय मणिपुर में है। उखरुल करामाती, सुंदर और अद्भुत है। भीड़भाड़, कारों के शोर, बड़ी इमारतों और भीड़भाड़ वाले भवनों से दूर बसा यह शहर स्वर्ग जैसा लगता है।
विदेशी लिली
सिरोय लिली, (जिसे शिरुई भी कहा जाता है) फूल की एक विदेशी वैरायटी है जो केवल उखरुल जि़ले में ही पाई जाती है। फ्रैंक किंगडम वार्ड, एक अंग्रेज़ी वनस्पतिशास्त्री फूल के इस विशिष्ट प्रकार को खोजने वाला प्रथम व्यक्ति था। उसने इसका नाम लिलियम मैकलिनिए, अपनी पत्नी के नाम पर रखा था। स्थानीय लोग सिरोय लिली को काशोगवोन कहते हैं और यह अधिकतर शिरुई काशुग या शिरुई पर्वत पर पाया जाता है।
उखरुल में और इसके आसपास पर्यटन स्थल
उखरुल अनेक पर्यटन स्थलों से भरा हुआ है जो उखरुल पर्यटन को एक सुखद अनुभव बनाता है। उखरुल में और इसके आसपास अनेक लोकप्रिय पार्क, चोटियाँ और झरनें हैं। डंकन पार्क और अल शैदाई पार्क पर्यटकों के लिए आदर्श पिकनिक स्पाट हैं। खयांग झरना और वन क्षेत्र, एंगो चिंग पर्यटकों और रोमांचकारी यात्रियों द्वारा अभी भी खोजे जाने बाकी है।
एक समतल पहाड़ी, लुंघर सिहाई फानग्रेइ और काचोउ फुंग झील खाली समय में टहलने के लिए एक अच्छी जगह है। उखरुल में स्थित झरनें, गुफाएँ और चोटियाँ सही मायने में उखरुल के दूसरे नाम, ग्रीन टाऊन को जीवंत करते हैं।
शिरुई काशोग पर्वत, खयांग पर्वत और निल्लाइ चाय बागान हरियाली से भरे हैं। शिरुई काशोग पर्वत मई और जून के दौरान लिली के फूलों से भरा रहता है। पुरातत्व में रुचि रखने वाले लोगों के लिए खांगखुंई मंगसर गुफा एक आकर्षण है।
उखरुल के मूल निवासी
अपनी युद्ध कला के लिए प्रसिद्ध तांगखुल नागा जनजाति का निवास स्थान, उखरुल एक समृद्ध सांस्कृतिक गंतव्य है। उखरुल में त्योहारों के दौरान होने पर आप अच्छा समय बिता सकते हैं। पहाडि़यों और पहाड़ों से भरे इस जि़ले में जहाँ तक नज़र जाएगी आपको हरियाली ही दिखाई देगी।
तांगखुल अपनी विस्तृत पोशाक के लिए विशेष रूप् से जाने जाते हैं।महिलाएँ ’कशान’ पहनती हैं जबकि पुरुष ’हावड़ा’ नामक शाल पहनते हैं। अपनी पारंपरिक वेशभूषा पहने तांगखुल लोगों को सड़क पर घूमते हुए देखना एक आम दृश्य है जबकि पर्यटकों के लिए यह आश्चर्यजनक होता है।
उखरुल के बारे में उल्लेखनीय बात यह है कि इसकी 90 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या साक्षर है। प्रतिष्ठित दिल्ली विश्वविद्यालय में उत्तर-पूर्व से शामिल होने वाली सबसे पहली आदिवासी प्रोफेसर, प्रो. होरम, उखरुल से थी।
उखरुल तक कैसे पहुँचे
सड़क, रेल तथा हवाई परिवहन के सभी साधनों के द्वारा उखरुल तक पहुँचा जा सकता है।
उखरुल जाने के लिए सबसे अच्छा समय
उखरुल जाने के लिए सबसे अच्छा समय गर्मियों के दौरान होता है।