हिमाचल के केलांग से केवल 5 कि.मी दूर कर्दंग मठ काफी प्राचीन गोम्पा है। यह प्राचीन गोम्पा भगा नदी के किनारे, 3500 मीटर की ऊंचाई पर है। यह लग भग 900 साल पुराना है और यह मठ बुद्धियों के द्रुप कग्युद्ध स्कूल के अंतर्गत है। 12 वी सदी में बने इस मठ का ग्रंथालय भारत का सबसे बड़ा बौद्ध ग्रंथालय है। इस ग्रंथालय में भोटिया और शर्पा भाषाओं में लिखे कंग्युग और तंग्युग धर्म ग्रन्थ मौजूद है।
इस के अलावा इस ग्रंथालय में तंका चित्र, वाद्ययंत्र जैसे तम्बूरा, ढोल, भोपू और कुछ पुराने हथियारों का संग्रहण किया है। 1912 में लामा नौर्बू रिन्पोच ने इसका नवीनीकरण किया।
गोम्पा के पहले कमरे में लामा नौर्बू की अस्थियाँ है। इसी कमरे में पद्मसंभव और तारा देवी की प्रतिमा भी स्थापित है। दूसरा कमरा एक प्रार्थना कक्ष है जहाँ ग्यारा सरों की अवलोकितेश्वर की मूर्ति है। तीसरे कमरे में लकड़ी का 6 फीट ऊँचा प्रार्थना चक्र जिसके ऊपर पीतल की घंटी है।
मठ में एक बड़ा सा ढोल है और एक कागज़ पर 6 शब्दान्शा का पवित्र मंत्र "ॐ मणि पद्मा हम" लाखों बार लिखा गया है। इस मठ में सन्यासी और सन्यासिन के हक एक सामान हैं। वे चाहे तो अपने पारिवारिक जीवन की शुरुवात कर सकते हैं। सन्यासी अपनी गर्मियां परिवार के साथ बिताते हैं और सर्दियाँ मठ में।