काली माता मंदिर राष्ट्रीय राजमार्ग 22 पर स्थित है। यह कालका शहर से होकर गुज़रता है। यह प्राचीन मंदिर काली देवी को समर्पित है और हिंदू तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। नवरात्रि उत्सव के दौरान यहाँ भारी भीड़ होती है। इस क्षेत्र के हिंदू तीर्थ स्थानों में यह बहुत लोकप्रिय है।
इस मंदिर का केवल धार्मिक महत्व ही नहीं है बल्कि पौराणिक महत्व भी है। यह मंदिर महाभारत काल से संबंधित है। ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने उनके ’अज्ञातवास’ के दौरान इस मंदिर का निर्माण किया था। भगवान शिव की पूजा पूरे पंचकूला में लोकप्रिय है। भगवान शिव के साथ देवी शक्ति की भी पूजा होती है। इस देवी को दुर्गा, कालिका, चंडी, नैना, मनसा, शारदा, अंबिका, काली और भवानी आदि नामों से भी पुकारा जाता है।
कालका हिमाचल प्रदेश के प्रवेशद्वारों में से एक है। यह चंडीगढ़ से 14कि.मी. दूर है तथा कालका-शिमला रेलवे का अंतिम बिंदु है। इस शहर का नाम इस काली देवी मंदिर से ही लिया गया है। 103 सुरंगों से होकर गुज़रने वाली रेल यात्रा एक आरामदायक और रोमांचक विकल्प है।