सेनापति, मणिपुर राज्य के नौ जिलों में से एक है और यदि आप एक एक प्रकृति प्रेमी हैं तो आपके लिए यह यात्रा करने लायक सबसे अच्छा स्थल है। सेनापति इस जिले के एक शहर का भी नाम है जो यहां का जिला मुख्यालय है। उत्तर - पूर्व के अन्य स्थानों और शहरों की तरह यहां भी प्राकृतिक सौंदर्य संरक्षित है। मणिपुर राज्य के इस शहर में भ्रमण के दौरान पर्यटक यहां आकर पहाडियों के दृश्य, कलकल बहती धाराओं, प्राचीन नदियों, गहरी घाटियों और बीहड़ पहाड़ों को देख सकते हैं। अगर पर्यटक मणिपुर में आकर साहसिक गतिविधियों को करना चाहते हैं तो उन्हे निराश होने की आवश्यकता नहीं है यहां साहसिक गतिविधियों के ढेर सारे विकल्प मौजूद हैं।
सेनापति और उसके आसपास के क्षेत्रों में भ्रमण करने लायक स्थल
सेनापति शहर और उसके आसपास के इलाकों में पर्यटकों के लिए कई पर्यटन स्थल हैं जिनमें मारम खुल्लेन, यांगखुल्लेन, माओ लिईयाई, मक्खेल, पुरूल, कौब्रु पर्वत और हाउडू कोईडे बिसो शामिल हैं। प्रत्येक वर्ष, दुनिया के विभिन्न भागों से और देश के कई हिस्सों से हजारों पर्यटक इस जगह पर घूमने आते हैं और यहां की प्राकृतिक सुंदरता को देखकर हैरान व मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
सेनापति में वनस्पतियों और जीवों की किस्में
सेनापति में विभिन्न प्रकार की वनस्पतियां और कई प्रजाति के जीव पाए जाते हैं जो यहां आने वाले पर्यटकों के मन प्रफुल्लित कर देते हैं। अगर आप अपनी यात्रा के दौरान इस क्षेत्र में सैर करेंगे तो पाएंगे कि इस जिले का 80 प्रतिशत भाग जंगलों से घिरा हुआ है जिसमें कई दुर्लभ प्रकार के पेड़ और जानवर पाए जाते हैं। इस स्थान पर कुछ जड़ी - बूटियां भी पाई जाती हैं जैसे - एडींटम फ्लेबेल्लुटम लिन, अबरस प्रीक्रेटोरियस लिन और एल्सोलथजिया क्लिीएट आदि, ये सभी जडी - बूटी यहां स्थानीय स्तर दवा बनाने के काम में आती हैं। सर्दियों के दौरान कई प्रवासी पक्षियों को भी सेनापति में सैर करते हुए देखा जा सकता है।
सेनापति के निवासी
सेनापति जिले और शहर की आबादी में कई समुदाय हैं जिनमें माओ, तांगखुल, माराम, कुकी, जीमाई, वाइफेरी, चिरू, चोटथे और मीटी शामिल हैं। इनमें से हर समुदाय का जीवन जीने का तरीका भिन्न है, उनका पहनावा अलग है, उनके स्थानीय व्यंजन और खान - पान भिन्न हैं। इस जिले में ईसाई धर्म सबसे प्रमुख है। वैसे यहां अन्य धर्मो के अनुयायी भी हैं जिनमें से कुछ हिन्दु धर्म से जुड़े हैं और कुछ इस्लाम को मानने वाले हैं, सभी धर्मो के लोग इस क्षेत्र में आपसी सद्भाव और शांति के साथ जीवनयापन करते हैं। इस क्षेत्र में बोली जाने वाली प्रमुख भाषाएं एमोल, चीनी - तिब्बती और माइती हैं।
सेनापति का इतिहास
सेनापति, मणिपुर राज्य के उत्तरी भाग में स्थित है जो पूर्व में उखरूल जिले की सीमा से और पश्चिम में तामेंगलांग जिले की सीमा से जुड़ा हुआ है। वहीं इसके उत्तर में नागालैंड का फेक जिला और दक्षिण में इम्फाल का पश्चिमी क्षेत्र सीमा साझा करता है। इस क्षेत्र को 1969 में जिला घोषित किया गया और मणिपुर के उत्तरी जिले के रूप में जाना गया। पूर्व समय में, यह मणिपुर राज्य का हिस्सा था, जो भारत के सबसे लंबे समय तक चलने वाले शासनकाल में से एक है। यहां के अधिकाश: लोगों की संस्कृति और परंपरा इसी काल में विकसित हुई थी।
इस जगह का नाम सेनापति तिकेन्द्राजीत सिंह के नाम पर रखा गया था, जो कि मणिपुर के शाही परिवार के सदस्य थे। किंवदंती के अनुसार, जब ब्रिटिश राजनीतिक एजेंट मेजर जनरल सर जेम्स जॉनस्टोन ने मणिपुर में प्रवेश किया था, तो सेनापति तिकेन्द्राजीत सिंह ने ही उनका स्वागत किया था। बाद में युवा राजकुमारों ने ब्रिटिशों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और 1891 में मणिपुर में शासन वापस लेने की पुरजोर कोशिश की थी। इस प्रकार इस जिले के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया था, जिसमें अंग्रेजों ने अपने साम्राज्य को मजबूत करने के लिए और उपमहाद्वीप के सुदूर पूर्व में शासन करने के लिए इस स्थान को चुना था।
सेनापति तक कैसे पहुंचें
सेनापति तक यातायात के सभी साधनों द्वारा जैसे - हवाई, रेल और सड़क मार्गो से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
सेनापति की सैर के लिए अच्छा समय
सेनापति में भ्रमण करने के लिए अक्टूबर और नबंवर की शुरूआत और गर्मियों का मौसम सबसे अच्छा होता है।