छतरियां या स्मारक एक खाली कब्र है जो उस व्यक्ति के लिए बनी हुई है जो कहीं न कहीं विद्यमान है। स्मारक, युद्ध स्मारकों की तर्ज पर बनाया गया है यह एक आधुनिक तरीका नहीं बल्कि काफी पुराना प्रचलन है। स्मारक के अंग्रेजी शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के शब्द से हुई है जिसका अर्थ मृतकों के सम्मान व इतिहास से जुड़े साधन के रूप में होता है।
शिवपुरी की छतरियां शाही सिंधिया परिवार से जुड़ी हुई हैं। यहां स्थित छतरियां न केवल उनके इतिहास के लिए जानी जाती है बल्कि उनकी कला व स्थापत्य के लिए भी उल्लेखनीय है। शिवपुरी की छतरियां, संगमरमर से बनी हुई है जिन पर बेदाग कला के चिन्ह् आज भी देखने को मिलते है। यह छतरियां वर्तमान में भी सही ढंग से बनी हुई है जिससे साफ पता चलता है कि इनका रखरखाव अच्छे से किया जाता है।
इन छतरियों के पास में ही एक बड़ा सा मुगल उद्यान भी स्थित है वहीं दूसरी तरफ एक झील भी स्थित है जो देखने में बेहद सुंदर है और काफी बड़ी भी है। यहां सिंधिया शाही परिवार के सदस्यों को समर्पित मूर्तियां भी लगी हुई है। यहां स्थित छतरी विशेष रूप से माधवराव सिंधिया और उनकी तत्कालीन विधवा महारानी सख्या राजे सिंधिया को समर्पित है।