स्थानीय रूप से खांगखुई मंगसोर गुफा के नाम से प्रसिद्ध, प्राकृतिक चूना पत्थर से बनी यह गुफा किसी भी पुरातत्वविद् के लिए एक अच्छी जगह है। यह भारत की सबसे पुरानी गुफाओं में से एक है। खांगखुई मंगसोर गुफा खांगखुई में स्थित है जो कि उखरूल से 16कि.मी. दूर स्थित एक छोट सा तांगखुल नागा गाँव है। इस गुफा में एक विशाल हॉल है जिसे शैतान का दरबार हॉल भी कहा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि इस गुफा में एक शैतान रहता था। इस गुफा में एक उत्तरी हॉल है जिसे शैतान की दो पत्नियों के द्वारा बेडरूम के रूप में साझा किया जाता था। दो पत्नियों के दो अलग-अलग कक्ष भी थे। इस गुफा में कुल पाँच सुरंगें हैं।
खांगखुई मंगसोर गुफा से प्राप्त पुरातात्विक प्रमाणों से पता चलता है कि यह गुफा पैलेयोलिथिक समय से उपस्थित है और उस समय की बहुत सारी डेटिंग कलाकृतियाँ भी पाई गई हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान इस गुफा को स्थानीय लोगों के द्वारा आश्रय के रूप् में इस्तेमाल किया गया था।