पापनासम तट, तिरूवंनतपुरम से 45 किमी. दूर स्थित है। यह माना जाता है कि यहां बहने वाले झरनों के ताजे पानी में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है, जैसा कि तट का नाम है पापनासम यानि पापों का नाश कर देने वाला। भक्त यहां अपने मृत रिश्तेदारों की राख को भी पानी में डुबाने लाते है। मृत शरीर की राख को डुबाना और फिर पानी में डुबकी लगाकर नहा लेना पवित्र माना जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक दिन ऋषि नारद अपने भक्तों के समूह के समीप यहां आएं। इन भक्तों ने अपने पापों को कबूला और स्वीकारा कि उन्होने गलत किया था। उनको दोषमुक्त करने के लिए नारद मुनि ने हवा में अपना वलक्कलम उछाल दिया और वह आकर इस स्थल पर गिरा जो वर्तमान में वर्कला के नाम से जाना जाता है। इसके बाद उन्होने अपने भक्तों से कहा कि वो लोग पापनासम तट पर जाएं और अपने पापों को नष्ट करने के लिए प्रार्थना करें। इस प्रकार, इस तट का नाम पापनासम पड़ गया।
पापनासम समुद्र तट से सूर्यास्त का रमणीय नजारा नारियल के पेड़ों के बीच से देखने में बेहद मनोरम लगता है।