येलागिरी को एलागिरी भी कहते है, यह तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में बसा हुआ छोटा सा हिल स्टेशन है और इसको पर्यटकों का स्वर्ग भी कहा जाता है। इसका इतिहास प्रवासिय समय का है जब सारा येलागिरी वहां के ज़मीदारों की निजी संपत्ति हुआ करती थी जिनके घर आज भी रेड्दीयुर में मौजूद है। 1950 दशक के शुरुवात में, भारत सरकार द्वारा येलागिरी ले लिया गया था।
यह जगह समुद्र तल से 1048 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, और आदिवासी आबादी वाले लगभग 14 गांवों का एक समूह यहाँ है। विभिन्न जनजातियों की आबादी वाला यह हिल स्टेशन, तमिलनाडु के अन्य हिल स्टेशन जैसे ऊटी या कोडाइकनाल की तरह विकसित नहीं है। हाल ही में यहाँ के स्थानीय प्रशासन ने येलागिरी को पैराग्लाइडिंग और रॉक क्लाइम्बिंग जैसे खेलों के जरिये यहाँ के पर्यटन को बढ़ावा कोशिश की है।
येलागिरी पहुंचने पर जो चीज़ सबसे पहले आपका ध्यान आकर्षित करेगी वो है यहाँ फैली शांति और आसपास की ग्रामीण सुंदरता। यह जगह ताजा फल और पत्तियों से भरी हुई है साथ ही बगीचों, गुलाब उद्यान और हरी घाटियों से घिरा हुआ है। सुरम्य परिदृश्य के बीच ड्राइविंग का आनंद ही अलग होगा।
येलागिरी, साहसिक खेलों की जगह!
येलागिरी की पहाड़ियां साहसिक खेल प्रेमी के बीच एक प्रसिद्द जगह हैं। वास्तव में, कुछ समय पहले ही इसको भारत में दूसरा सबसे अच्छा प्राकृतिक खेलों के स्थल चुन गया है महाराष्ट्र के पंचगनी के बाद। येलागिरी में कई मंदिर भी हैं जो दोनों युवा और बुजुर्ग पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते है।
पुनगनुर झील येलागिरी के सबसे लोकप्रिय स्थलों में से एक है। यहाँ नौकाविहार करने पर आप पहाड़ियों से घिरी प्राकृतिक सुंदरता का आनंद उठा सकते है। विशाल हरे मैदानों को यहाँ के घाट से देखा जा सकता है और पर्यटक यहाँ फैली व्यापक देहाती सुंदरता का आनंद दूरबीन का उपयोग करके उठा सकते हैं। नौकाविहार करने के लिए निलावूर झील भी जा सकते है।
येलागिरी और आसपास के पर्यटक स्थल
वेलावन मंदिर, स्वमिमलाई हिल और पहाड़ियों पे ट्रेकिंग जैसी जगह यहाँ आये पर्यटकों के लिए प्राकृत सौंदर्य को देखने का एक और विकल्प है। प्रकृति प्रेमियों के लिए यहाँ प्राकृतिक पार्क और सरकारी हर्बल और फलों का फार्म भी है। अगर आप सितारों को टकटकी लगाकर देखना चाहते है तो टेलीस्कोप हाउस और वेणु बापू सौर वेधशाला जाना न भूलें।
येलागिरी की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय
येलागिरी में सर्दियाँ नवंबर से फरवरी तक रहती है। हालांकि, साल भर यहाँ का तापमान काफी नियंत्रित रहता है। गर्मियों में तापमान 18 डिग्री सेल्सियस से 34 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है और सर्दियों में तापमान 11 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच बना रहता है। जुलाई से सितम्बर के बीच यहाँ मध्यम बारिश होती है।
यह जगह पोंगल के दौरान जो अक्टूबर में मनाया जाता है, दिवाली के दौरान जो जनवरी में मनाया जाता है, काफी आकर्षक रहती है। यह दोनों त्यौहार यहाँ येलागिरी में बड़े हर्ष और उल्लाहस से मनाया जाता है। गर्मियों का त्यौहार, कोडाई विज़ाह, मई के महीने में तीन दिनों तक मनाया जाता है जो पर्यटक को आकर्षित करता है।
येलागिरी तक कैसे पहुंचे
येलागिरी बाकी शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और यहाँ पहुंचना काफी आसान है। बंगलौर हवाई अड्डा येलागिरी से सबसे करीब हवाई अड्डा है। येलागिरी आने के लिए आप हवाई अड्डे से टैक्सी किराए पर ले कर आ सकते हैं। यहाँ से चेन्नई हवाई अड्डा भी करीब है। येलागिरी से नजदीकी रेलवे स्टेशन जोलार्पेत्तई है और येलागिरी के लिए यहाँ से बसें और कैब आसानी से उपलब्ध रहती हैं। येलागिरी सड़क मार्ग से भी अच्छी तरह से तमिलनाडु के पोंनेरी शहर से जुड़ा हुआ है। चेन्नई, सेलम, होसुर और बंगलौर से नियमित अंतराल पर बसें उपलब्ध रहती है। हालांकि, बस का सफ़र काफी लम्बा और महंगा हो सकता है तो या ट्रेन से येलागिरी जाए या फिर गाड़ी किराये पर कर लें।
येलागिरी सड़क मार्ग पर मील के पत्थर और साइनबोर्ड पर्याप्त मात्रा होने के कारन आप आसानी से ड्राइव करके पहुच सकते है और यहाँ के रस्ते में काफी पेट्रोल पम्प पड़ते हैं। हालांकि, पहाड़ियों में कोई पेट्रोल पम्प नहीं है तो थोडा पेट्रोल साथ लेजाये तो अच्छा होगा। येलागिरी का सड़क मार्ग बेहद आराम दायक है।
थोड़ी शोपिंग येलागिरी में
येलागिरी से अपने घर लौटते समय यहाँ का शहद और कटहल ले जाना न भूलें क्यूँकि तमिलनाडु में सबसे अच्छा शहद यहीं पर मिलता है। घर का बना शहद मक्खियों को बढ़ा कर निकला जाता है। यहाँ के स्थानीय लोग प्राकृतिक शहद, चट्टानों और पेड़ों पर बसी जंगली मधुमक्खियों से निकतले है। अगर आप प्रकृति की गोद में अच्छा समय गुज़ारना चाहते हैं तो येलागिरी आपके लिए आदर्श जगह है।