चम्पाकुलम चर्च केरल के कैथोलिक सीरिया वंश के चर्चों में से अधिकांश की मातृ-चर्च है। इसे 427 ई0 में बनाया गया था और इन वर्षों के दौरान इसकी बनावट में कई बदलाव किये जा चुके हैं। इस चर्च के चारों ओर पाये जाने वाले प्राचीन पत्थरों पर उपस्थित शिलालेखों में बदलते समय...
एडाथुआ चर्च, जिसे सेन्ट जॉर्ज कैथोलिक चर्च या एडाथुआ पल्ली के नाम से भी जाना जाता है, ईसाइयों के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। पम्बा नदी की एक सहायक नदी के तट पर बसे इस पूजाघर की भौगोलिक स्थिति के साथ-साथ इसकी वास्तुकला भी सुन्दर है।
लगभग दो सौ साल...
यहां के हाउसबोट इसे अन्य पर्यटक स्थलों से अलग करते हैं। लाखों पर्यटक हाउसबोट का आनंद लेने तथा अपना समय बिताने और जलभराव की शांति और सौंदर्य का आनंद लेने के लिए इस जगह पर आते हैं। दिन भर हाउसबोट पर घूमने या रात भर घूमने की सुविधायें भी उपलब्ध हैं जिनका चयन यात्री...
पथिरामन्नल सपने में आने वाले स्थानों की तरह है। इस छोटे से द्वीप को घेरने वाली सुन्दरता तक केवल एक नाव द्वारा ही पहुँचा जा सकता है। अगर आप शहर के नीरस जीवन से दूर भागना चाहते हैं तो यह स्थान आप को रोक लेगा और आपकी शांति और सुन्दरता की प्यास को बढ़ा देगा।
...कुट्टन्ड को केरल का धान का कटोरा भी कहते हैं जो कि अपने ग्रामीण इलाकों की सुन्दरता के लिये भी जाना जाता है। धान के लहलहाते खेतों के फैलाव के बीच- बीच में लम्बे नारियल के पेड़ निरन्तरता को उसी प्रकार बाधित करते हैं जैसे कि एक महिला इस कठोर दुनिया से अपनी सौम्यता...
पास के कृष्णपुरम मन्दिर के नाम पर नामित कृष्णपुरम पैलेस ने अपने आसपास सदियों के बदलाव को देखा है। त्रैवनकोर के तत्कालीन राजा अनिझम थिरुनल मरटण्डा वर्मा ने 18वीं सदी में इस महल को एक मंजिला बनवाया था। महल को स्थानीय वास्तुकला की पारम्परिक शैली के प्रदर्शन के लिये...
विरासत के प्राचीन प्रतीक अम्बालापुझा श्री कृष्ण मंदिर को यहाँ के शासक चेम्बकास्सेरी पूरण्डम थिरूनल – देवानरायन थम्पूरन ने 790 ई0 के आसपास बनवाया था। मन्दिर के इष्टदेव पार्थसारथी को एक योद्धा के रूप में दिखाया गया है जिसमें उनके एक हाथ में कोड़ा तथा दूसरे हाथ...
चावरण भवन ईसाई धर्म के अग्रणी अनुयायी कुरियाकोस एलियास चवर का पैतृक निवास है। कुरियाकोस एलियास चवर सायरो – मलाबार कैथोलिक चर्च के पुरुषों के प्रतिनिधि मण्डल के अगुवा थे। उनके आवास को अब पवित्र तीर्थ का सम्मान दिया जाता है।
लगभग 300 साल पुराना यह...
करूमडी कुट्टन (जिसका शाब्दिक अर्थ है करूमडी का लड़का) नाम क्षेत्र के सबसे पुराने बौद्ध स्थापना केन्द्र को दिया गया है। बौद्ध धर्म अपने शुरुआत से चरम तक भारत के कई राज्यों और संस्कृतियों से गुजरा है। कई क्षेत्रों में अभी भी अतीत के इस क्रम के कई चिन्ह मिलते हैं।...
पाण्डवन रॉक एक ऐसा मंच है जहाँ पर लोगों द्वारा महाभारत काल की सुनी कहानियों का मंचन होता है। ऐसा माना जाता है कि पाँचों पाण्डवों ने अपने राज्य से निष्काषन के दौरान जंगलों में विचरण करते हुये इस गुफा को रहने का स्थान बना लिया था।
इस कारण से यह स्थान...
अलेप्पी समुद्रतट आसपास के तटीय शहरों में पाये जाने वाले समुद्रतटों से बिल्कुल अलग है। शहर के केन्द्र में स्थित रेलवेस्टेशन से मात्र एक किमी की दूरी पर अलेप्पी समुद्रतट के साफसुथरे रेतीले तट के एक तरफ अरब सागर का विशाल फैलाव तथा दूसरी ओर पॉम के लम्बे-लम्बे पेड़...
कयमकुलम झील का नाम इसके चारों ओर बसने वाले शहर के नाम पर पड़ा है। यह प्राचीनकाल से ही एक समुद्री व्यापार केंद्र के रूप में जाना जाता रहा है। अलेप्पी के इस भाग में भी जलभराव की उपस्थिति के कारण कयमकुलम की निर्णायक भूमिका रहती है। वास्तव में, कोल्लम और अलेप्पी को...
केरल का सुप्रसिद्ध मन्नारसाला श्री नागराज मन्दिर नागों के देवता नागराज को समर्पित है। दुनिया भर में सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले मन्दिरों में से एक यह मन्दिर रोचक मिथक और लोककथाओं से जुड़ा हुआ है। एक किंवदन्ती के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार भगवान परशुराम ने इस...
सेन्ट एण्ड्रियू चर्च का इतिहास 15वीं शताब्दी का है। उस समय पुर्तगालियों ने अपने आक्रमण के दौरान इस छप्पर वाली संरचना को बनाया था जोकि लकड़ी और पत्थरों से बेहतर थी। समय के साथ यह चर्च लोकप्रिय हुआ और राज्य के हिस्सों तथा बाहर से आने वाली भक्तों की भारी भीड़ को...
मुल्लक्कल राजेश्वरी मन्दिर अलेप्पी शहर के केन्द्र में स्थित है। देवी दुर्गा के एक स्वरूप राजेश्वरी को समर्पित यह मन्दिर सुन्दर होने के साथ-साथ भक्ति की भावना से ओत-प्रोत है। इस मन्दिर में देवी दुर्गा के कई स्वरूप हैं। केरल राज्य की परम्परागत शैली में बने इस मन्दिर...