संघोल अपने पुरातात्विक संग्रहालय के लिए प्रसिद्ध है जिसमें सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष और कलाकृतियां राखी गई हैं। इसे उछ पिंड संघोल के नाम से भी जाना जाता है और फतेहगढ़ साहिब से यह 18.9 किमी दूर है। सडक द्वारा यह दूरी तय करने में 28 मिनट का समय लगता है। तोरामाना और मिहिरकुल, जो कि मध्य एशिया के शासक थे, संबंधित मुहरें एवं सिक्के भी यहाँ मिले हैं।
वर्ष 1968 में एक बौद्ध स्तूप भी यहाँ खोजा गया था। वर्ष 1985 में, मथुरा स्कूल ऑफ़ आर्ट (मथुरा कला विद्यालय) से संबंधित पहली और दूसरी शताब्दी ईस्वी की लगभग 117 पत्थर की संरचनाएं खुदाई के दौरान यहाँ प्राप्त हुई थीं। संघोल संग्रहालय में हड़प्पन सभ्यता के अवशेष बड़ी संख्या में देखे जा सकते हैं।
इस संग्रहालय में 15,000 से भी अधिक कलाकृतियां हैं और इसलिए यह स्थान इतिहासकारों एवं कलाप्रेमियों बीच बहुत प्रसिद्ध है। मुख्य सडक पर पर्यटक पहली एवं दूसरी शताब्दी में निर्मित एक बौद्ध स्तूप एवं मठ देख सकते हैं।