रौज़ा शरीफ सुन्नी मुस्लिम समुदाय के लिए मक्का का ही दूसरा रूप है। सरहिंद-बस्सी पठाण रोड पर स्थित यह स्थान शेख़ अहमद फ़ारूकी सरहिंदी को समर्पित है जो 1563 से लेकर 1624 के बीच यहाँ रहे थे। शेख़ अहमद सरहिंदी के उर्स (पुण्यतिथी) पर मुस्लिम समुदाय के लोग संपूर्ण विश्व से बड़ी संख्या में यहाँ पर आते हैं।
इस स्थान पर कई मकबरे हैं जो शेख़ के परिवारवालों को समर्पित हैं। इसके अलावा अफ़गान शासक शाह ज़मान और उनकी बेगम का मकबरा भी यहाँ पर है। यह स्थान सुंदर मेहराबों और गुम्बदों से सुसज्जित है और इस स्थान को भारत सरकार द्वारा ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया गया है। उस्ताद और शागिर्द का मकबरा, मीर-ए-मिरां का मकबरा पास ही स्थित कुछ अन्य मकबरे हैं जहाँ पर्यटक जाना पसंद करेंगे।