संघोल अपने पुरातात्विक संग्रहालय के लिए प्रसिद्ध है जिसमें सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष और कलाकृतियां राखी गई हैं। इसे उछ पिंड संघोल के नाम से भी जाना जाता है और फतेहगढ़ साहिब से यह 18.9 किमी दूर है। सडक द्वारा यह दूरी तय करने में 28 मिनट का समय लगता है। तोरामाना और...
माता चक्रेश्वरी देवी जैन मंदिर सरहिंद-चंडीगढ़ रोड पर एक गाँव अत्तेवाली में स्थित है। माता चक्रेश्वरी देवी की कथाएं पृथ्वीराज चौहान के समय से चली आ रही हैं। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, कुछ तीर्थयात्री बैलगाड़ियों में जैन मंदिरों की यात्रा कर रहे थे। उन्होंने रास्ते...
संत नामदेव मंदिर बस्सी पठाण में स्थित है जो फतेहगढ़ साहिब से 6 किमी दूर है। संत नामदेव को समर्पित इस मंदिर की इस क्षेत्र में अत्यधिक धार्मिक मान्यता है। संत मानदेव महाराष्ट्र में रहते थे और यात्रा के दौरान पंजाब आए थे। यह स्थान पहले ‘स्वामी नामदेव जी का...
रौज़ा शरीफ सुन्नी मुस्लिम समुदाय के लिए मक्का का ही दूसरा रूप है। सरहिंद-बस्सी पठाण रोड पर स्थित यह स्थान शेख़ अहमद फ़ारूकी सरहिंदी को समर्पित है जो 1563 से लेकर 1624 के बीच यहाँ रहे थे। शेख़ अहमद सरहिंदी के उर्स (पुण्यतिथी) पर मुस्लिम समुदाय के लोग संपूर्ण विश्व...
गुरुद्वारा ज्योति सरूप, सरहिंद- चंडीगढ़ रोड पर स्थित है और फतेहगढ़ साहिब से लगभग एक किमी दूर है। इसे गुरु गोबिंद सिंह जी की माता गुजरी देवी और उनके दोनों पुत्रों साहिबज़ादा फतेहसिंह और साहिबजादा जोरावर सिंह के अंतिम संस्कार की स्मृति में बनाया गया था।
ऐसा...
सरहिंद-मोरिंदा सडक पर स्थित गुरुद्वारा फ़तेहगढ़ साहिब सिखों का एक मुख्य धार्मिक स्थल है। ऐसा विश्वास है कि वर्ष 1704 में साहिबज़ादा फतेहसिंह और साहिबज़ादा जोरावर सिंह को सरहिंद के फौजदार वज़ीर खान के आदेश पर दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था। यह गुरुद्वारा उन्हीं...
हवेली टोडर मल, गुरुद्वारा फतेहगढ़ साहिब के परिसर में ही स्थित है। इसका निर्माण सत्रहवीं शाताब्दी में हुआ था और इसे जहाज़ हवेली या जहाज़ महल के नाम से भी जाना जाता है। टोडर मल मुग़ल काल के दौरान, सरहिंद के शासक नवाब वज़ीर खान के दरबार में दीवान थे।
वे गुरु...
ब्रास में नाबिस के मकबरे अल्लाह के पसंदीदा, नाबिस को समर्पित है। इस स्थान पर खुदाई के दौरान 11 मानव कंकाल मिले, जो कि ऐसा माना जाता है कि नाबिस के हैं। इसके बाद एक उठे हुए मंच पर 11 मकबरों का निर्माण किया गया और वे स्थानीय लोग जो नाबिस को मानते हैं वे अपने घरों के...
आम ख़ास बाग़, मुग़ल बादशाह बाबर द्वारा राजमार्ग पर बनवाई गई एक सराय के अवशेष हैं। बाद में शाहजहाँ द्वारा इसका पुनर्निर्माण किया गया क्योंकि कई शाही परिवार लाहौर जाते समय यहाँ रूकते थे। आम ख़ास बाग़ परिसर का एक वातानुकूलित तंत्र, जिसे सरद खाना कहा जाता है, ध्यान...
गुरुद्वारा शहीद गंज, गुरुद्वारा फतेहगढ़ साहिब के अंदर मुख्य क्षेत्र में स्थित है। यह गुरुद्वारा उन 6000 सिखों के अंतिम संस्कार की स्मृति में बनाया गया है जिन्होंने युद्ध के दौरान अपना बलिदान दिया था। ऐसा माना जाता है कि गुरुद्वारे की मुख्य संरचना उसी स्थान पर है...
फ्लोटिंग रेस्टॉरेंट पानी पर तैरती हुई एक प्रभावशाली संरचना है। जीटी रोड पर सरहिंद नहर पर स्थित यह संरचना अपनी विभिन्नता के कारण बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। तैरते जहाज़ जिसमें 8 सुइट और एक रेस्टॉरेंट है, विशेष रूप से इस तरह बनाये गए हैं कि...
सधाना कसाई की मस्जिद को भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण द्वारा एक ऐतिहासिक संरचना घोषित किया गया है। यह मस्जिद भगत सधाना को समर्पित है जिन्हें सधाना कसाई के नाम से जाना जाता था। वे एक मुस्लिम कवि, संत और फ़कीर थे। उनके कई भजन सिखों के पवित्र ग्रन्थ गुरु ग्रन्थ साहिब...
शाहगिर्द की मज़ार एक मकबरा है जो ख्वाजा खान को समर्पित है। ख्वाजा खान, प्रसिद्ध वास्तुविद उस्ताद सयद खान के शागिर्द थे। ऐसा कहा जाता है कि ख्वाजा खान ने भी एक निर्माता के रूप में अपने उस्ताद की तरह ही प्रसिद्धि प्राप्त की थी। यह स्थान अपनी सुंदर वास्तुकला शैली के...
उस्ताद दी मज़ार, शाहगिर्द की मज़ार से केवल एक किमी दूर है। यह एक प्रसिद्ध वास्तुविद और निर्माता उस्ताद सयद खान का मकबरा है। वास्तुकला की मुग़ल शैली का यह अद्भुत उदाहरण यात्रियों में कौतूहल उत्पन्न करता है। इस संरचना में एक विशाल गुंबद है जिसमें एक छोटे प्रवेश...