इस्लामनगर का किला यहां आने वाले पर्यटकों का सबसे बड़ा आकर्षण है। इस भव्य किले का इतिहास इस्लामनगर से काफी गहरे जुड़ा हुआ है। इसे अफगान कमांडर दोस्त मोहम्मद खान ने 1715 में बनवाया था। 1723 में जब निजाम-उल-मुल्क ने इस्लामनगर की घेराबंदी की, तो थोड़े संघर्ष के बाद ही दोस्त मोहम्मद खान शक्तिशाली निजाम को यह किला सौंपने पर मजबूर हो गए।
निजाम ने दोस्त मोहम्मद खान को एक संधि स्वीकार कर उसी किले का कमांडर बनने के लिए भी बाध्य किया। बाद में 1806 से 1817 तक इस्लामनगर किला सिंधियों के अधिकार में रहा। अंत में इस किले को भोपाल से फिर से बहाल किया गया।
इस किले में वास्तुशिल्पीय भव्यता और निपुणता का अद्भुत संगम देखा जा सकता है। वर्तमान समय में भी इस्लामनगर किले के वैभवशाली अवशेष मौजूद हैं। यहां के हरे-भरे खेतों में फैले अवशेष इसके गौरवशाली अतीत की झलक दिखाते हैं।