कोहिमा, नगालैंड की राजधानी, पूर्वोत्तर भारत के सबसे सुंदर स्थानों में से एक है। इस जगह ने पीढि़यों से लोगों को अपनी सुंदरता से मंत्रमुग्ध कर रखा है। कोहिमा को यह नाम अंग्रेजों के द्वारा दिया गया था, क्योकि वह लोग कोहिमा का वास्तविक नाम केवहिमा या केवहिरा सही ढंग से उच्चारण नहीं कर पाते थे।
कोहिमा का नाम केवहिमा यहां पाएं जाने वाले केवही फूलों के कारण रखा गया है जो इस शहर में चारों ओर पहाड़ों में पाए जाते हैं। बहुत पहले कोहिमा में अंगामी जनजाति ( नागा जनजाति में सबसे बड़ी ) निवास किया करती थी, वर्तमान में यहां नगालैंड के विभिन्न हिस्सों और अन्य पड़ोसी राज्यों से भी कई जाति के लोग रहने आते हैं।
कोहिमा - नागालैंड की प्यारी राजधानी
अगर आप कोहिमा के इतिहास के बारे में जानेगें, तो पाएंगे कि यह क्षेत्र, दुनिया से अन्य भागों से हमेशा बिल्कुल अलग रहा है, इस जगह के अधिकाश: भागों में हमेशा नागा जनजाति ने निवास किया है। इस जगह पर 1840 में ब्रिटिश आए थे, जिन्होने नागा जनजाति के कड़े प्रतिरोध का सामना किया था।
चार दशकों के लम्बे विरोध और झड़प के बाद, ब्रिटिश प्रशासकों ने इस क्षेत्र पर आधिपत्य स्थापित कर लिया था और कोहिमा को नागा पहाड़ी जिले का प्रशासनिक मुख्यालय बना लिया, जो उस समय असम का हिस्सा हुआ करता था। 1 दिम्बर 1963 को, कोहिमा को नागालैंड राज्य की राजधानी बना दिया गया। नागालैंड, भारत के संघ में 16 वां राज्य था।
कोहिमा, कई कट्टर लड़ाईयों की गवाह है, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आधुनिक जापानी सेना और अन्य मित्र देशों के बीच होने वाले कोहिमा का युद्ध और टेनिस कोर्ट की लड़ाई, कोहिमा ने देखी है। यहां यह है कि वर्मा अभियान ने जापानी साम्राज्य के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी और दक्षिण पूर्व एशिया में युद्ध का पूरा अर्थ ही बदल दिया।
साथ ही यह भी कहा जा सकता है कि मित्र देशों की सेना, जापान की उन्नति को रोकने में सक्षम थे। कोहिमा युद्ध स्थल को राष्ट्रमंडल युद्ध समाधि प्रस्तर आयोग के द्वारा बनाया गया था, जो यहां आने वाले सभी पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र है, जहां सौ से भी ज्यादा शहीद हुए सैनिकों की कब्र बनी है।
पर्यटकों के मजे के प्राकृतिक जोश
यह शहर पर्यटकों को झोली भर - भर कर प्राकृतिक सुंदरता के नैसर्गिक दृश्यों का उपहार देती है। यहां आकर आंगतुक, प्रकृति के बेहद लुभावने नजारों को देखते हैं। ऊंची चोटियां, घुमड़ते बादल और बहकती हवा, पर्यटकों के लिए इस जगह को खास बना देती है।
दुनिया के विभिन्न हिस्सों से पर्यटक यहां आकर कोहिमा चिडि़याघर, राज्य संग्रहालय, जुफु चोटी की सैर अवश्य करते हैं। अगर आप कभी कोहिमा की सैर के लिए जाएं तो दझुकोउ घाटी और दझुलेकि झरना जरूर देखें। कोहिमा में स्थित कोहिमा कैथोलिक चर्च, पूरे देश में स्थित गिरिजाघरों में से सबसे बड़ा और सबसे सुंदर चर्च है। यह एक बेहतरीन पर्यटक स्थल भी है, इसे अवश्य देखना चाहिए।
संस्कृति, पाक कला और पंथ
नागालैंड के लोगों को और मुख्य रूप से कोहिमा के लोगों को उनके प्यार और आतिथ्य के लिए जाना जाता है और यहां आकर पर्यटकों को स्थानीय व्यंजनों को चखना नहीं भूलना चाहिए। यहां की नागा जनजाति को मांस और फिश बहुत अच्छी लगती है और यह लोग इसे बेहद खास तरीके से पकाते है जो वाकई में लोगों के मुंह में पानी ला देती है।
नागालैंड को यहां की समृद्ध और जीवंत संस्कृति के लिए जाना जाता है और पर्यटक, कोहिमा में इस संस्कृति की झलक स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। नागालैंड में प्रत्येक और हर जनजाति के पास उसकी स्वंय की औपचारिक पोशाक होती है जो भिन्न रंगों के भाले, मृत बकरियों के बालों, चिडि़यों के पंखों और हाथी के दांतों आदि से निर्मित होती है।
पर्यटकों के लिए इनर लाइन परमिट
यह ध्यान देने योग्य बात है कि कोहिमा, संरक्षित क्षेत्र अधिनियम के अंर्तगत आता है जहां घरेलू पर्यटकों को यात्रा करने के लिए आईएलपी ( इनर लाइन परमिट ) की आवश्यकता पड़ती है। इनर लाइन परमिट एक साधारण पर्यटन दस्तावेज है। विदेशी पर्यटकों को इनर लाइन परमिट की आवश्यकता नहीं पड़ती है, उन्हे कोहिमा के संरक्षित क्षेत्र में प्रवेश करने व भ्रमण करने के लिए खुद को जिले के विदेशी पंजीकरण अधिकारी ( एफआरओ ) के पास पंजीकृत कराना होता है, पंजीकरण कराने के 24 घंटे के अंदर ही विदेशी पर्यटक आराम से सैर कर सकते हैं। वैसे घरेलू पर्यटक, इनर लाइन परमिट को इन स्थानों से भी प्राप्त कर सकते हैं -
उप आवासीय आयुक्त, नागालैंड हाउस, नई दिल्ली उप आवासीय आयुक्त, नागालैंड हाउस, कोलकातागुवाहाटी और शिलांग में सहायक आवासीय आयुक्त दीमापुर, कोहिमा और मोकोकचुंग के उप आयुक्त