नीलांबुर के पास स्थित एक छोटा सा गाँव, अरुवाकोड, कला और शिल्पकला के केंद्र के रूप में जाना जाता है। कुंभारन नामक पारंपरिक समुदाय द्वारा किए जाने वाले मिट्टी के बर्तनों के काम के कारण यह गाँव अनेक यात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करता है। कलाकार के.बी. जिनान ने कुंभम शिल्पकला परियोजना का आरंभ करके इस गाँव को प्रसिद्धि दिलाई।
इस गाँव के अनेक परिवार मिट्टी के पारंपरिक बर्तन, गार्डन फर्नीचर, वास्तुकला का सामान और बर्तन बनाने का काम करते हैं। आज इस गाँव को अरुवाकोड पाॅटरी गाँव कहा जाता है।
अरुवाकोड पॉटरी गाँव की कहानी उन लोगों के लिए सही मायने में प्रेरणादायक है जो लघु उद्योगों में दिलचस्पी रखते हैं। कुशल कुम्हारों के होने के बावजूद वैश्वीकरण के कारण इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था कमज़ोर हो रही थी। इसी के परिणामस्वरूप सस्ते विकल्पों के आने से मिट्टी के बर्तनों की प्रसिद्धि कम हो गई। लेकिन के.बी. जिनान के नेतृत्व में कुम्हारों ने इस कला को पुनर्जीवित किया और एक सफल वापसी की। आज 500 से ज़्यादा बेजोड़ डिज़ाइनों का श्रेय कुंभम शिल्पकला परियोजना को जाता है।
अरुवाकोड घूमने के लिए बहुत अच्छी जगह है और पर्यटक यहाँ की दुकानों से कुंभम में बनी हुई चीज़ें खरीद सकते हैं।