सागौन वृक्षारोपण के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध, नीलांबुर, केरल राज्य के मलप्पुरम जि़ले में स्थित एक बड़ा शहर है। विशाल जंगल, प्राकृतिक सुंदरता, अद्वितीय वन्य-जीवन, आकर्षक झरनें, शाही मुकाम और एक जीवंत उपनिवेशी अतीत के कारण मालाबर के इतिहास में इस जगह का एक विशेष स्थान है।
रणनीतिक रूप से बनाए गए इस शहर की सीमाएँ नीलगिरि पहाडि़यों, इरानाडु, पालाक्कड़ तथा कालीकट को छूती हैं। छलियार नदी के किनारे स्थित, नीलांबुर में स्वास्थ्यप्रद हरियाली और उपजाऊ भूमि है। यह शहर बहुत स्थानों से जुड़ा है और पास में स्थित अनेक शहरों और जि़लों जैसे मलप्पुरम शहर(40कि.मी.), कोझीकोडे (72कि.मी.), गुडालुर(50कि.मी.), तथा ऊटी (100कि.मी.) से यहाँ आसानी से पहुंचा जा सकता है।
अद्वितीय संस्कृति, विशिष्ट कलाएं
अपनी अनोखी भौगोलिक स्थिति के कारण नीलांबुर की संस्कृति अद्वितीय है। अंग्रेज़ों के आने से पहले इस शहर पर राज करने वाले शाही राज्य तथा मद्रास प्रेसिडेंसी द्वारा लाए गए प्रशासनिक बदलाव ने नीलांबुर को विभिन्न सांस्कृतिक विशेषताएँ प्रदान की। यह सुंदर शहर ’नीलांबुर वेट्टाकोरु माकन पाट्टु’ (’नीलांबुर पाट्टु’ नाम से अधिक प्रसिद्ध) नामक कला के लिए प्रसिद्ध है। यह कला हर साल ’नीलांबुर कोविलकम मंदिर’ में प्रदर्शित की जाती है।
केरल की शिल्पकला विरासत में भी नीलांबुर की भागीदारी है। इस शहर में कोविलकम नाम से प्रसिद्ध अनेक शाही मुकाम है। ये मुकाम बीते हुए युग के शासकों तथा स्थानीय राजाओं के निवास स्थान थे। नीलांबुर के कोविलकम अपनी शाही पेंटिंग और लकड़ी के अद्भुत काम के लिए दुनियाभर में आकर्षण का केंद्र हैं।
शानदार वनस्पति और प्रचुर पौध जीवन
कोन्नोल्ली का प्लॉट जो कि दुनिया का सबसे पुराना और प्रसिद्ध सागौन वृक्षारोपण है, नीलांबुर में स्थित है। इस शहर में भारत का सबसे पहला सागौन संग्रहालय है जो हर साल हज़ारों पर्यटकों को आकर्षित करता है। इस संग्रहालय में सागौन के वृक्ष के बारे में हर तथ्य को खूबसूरती से प्रदर्शित किया गया है जिसे एक पौधा प्रेमी जानना चाहेगा।
नीलांबुर सागौन संरक्षण केंद्र में दुनिया के सबसे ऊँचे और सबसे लंबे सागौन वृक्ष संरक्षित होने के कारण भी नीलांबुर का नाम विश्व रिकार्ड में दर्ज है। यह जगह बैम्बू (बाँस) के लिए भी प्रसिद्ध है, जो कि इसके नाम से ही अभिप्रमाणित होता है। इस शहर का नाम दो शब्दों के मेल से बना हैः निलिम्ब(अर्थात् बैम्बू) और उर (अर्थात् स्थान)।
नीलांबुर के जंगलों का विशाल क्षेत्र तीन राज्यों में स्थित तीन अभयारण्यों- कर्नाटक का बाँदीपुर अभयारण्य, तमिलनाडु का मुथुमाला अभयारण्य और केरल का वायनाड़ अभयारण्य में फैला हुआ है। सागौन के अलावा, नीलांबुर के जंगलों में अत्यधिक मात्रा में शीशम, मोहगनी और वेनटीक के पेड़ पाए जाते हैं। ये जंगल केरल के प्राचीन आदिवासी समूह क्लोनैक्केन का निवास स्थान है।
यात्रियों के लिए सच्चा आनंद
नीलांबुर में सुंदर नज़ारों की भरमार है। कोन्नोल्ली का प्लॉट और सागौन संग्रहालय इस शहर में आने वाले पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण है। अद्यानपरा और वेल्लेमठोड झरनें अपनी व्यापक धाराओं और सुंदर नज़ारों के कारण पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। नीलांबुर के पास स्थित नेदुनायकम, अपने वर्शा वनों, हाथी के शिविरों और लकड़ी से बने रेस्ट हाउस के लिए प्रसिद्ध है। छोटा सा गाँव, अरुवेकोड अपने सुप्रसिद्ध मिट्टी के बर्तनों के काम के लिए पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
नीलांबुर में स्थित ’जैव संसाधन पार्क’, एक अन्य पर्यटन स्थल है और इसी के पास स्थित ’तितली पार्क’ प्रकृति प्रेमियों को लुभाता है। साइलेंट वैली नैशनल पार्क से कुछ ही दूरी पर नवनिर्मित अमरमबलम संरक्षित वन है जो पक्षियों की दुर्लभ प्रजातियों के लिए प्रसिद्ध है। नीलांबुर कोविलकम मंदिर जिसके इष्टदेव वेट्टाक्कोरुमकन हैं, को देखने के लिए पूरा साल श्रद्धालु और यात्री आते रहते हैं।
नीलांबुर में ठहरने के लिए बड़ी संख्या में रिसॉर्ट और घर उपलब्ध हैं जहाँ आसपास के सुंदर नज़ारें देखते हुए यात्री अपना समय शाति से बिता सकते हैं। नीलांबुर के रेस्तरां में स्वादिष्ट और पारंपरिक मालाबार भोजन मिलता है जिसे आप चाटते रह जाएंगें। एक सुखद जलवायु और अच्छी कनेक्टिविटी के कारण यह जगह यात्रियों को आनंद लेने के लिए लुभाती हैं।