इतिहास में ऋषि अगस्त्य मुनि के समय से एक उल्लेखनीय स्थान, इदुम्बन मंदिर इडुम्बन की पहाड़ियों पर बसा है। पुराण कहते हैं कि ऋषि नें अपने सहायक इडुम्बन से शिवगिरी तथी शक्तिगिरी की पहाड़ियों को भारत में स्थित अपने निवास पर लाने का आदेश दिया था।
इदुम्बन, सुरों व असुरों के मध्य हुए युद्ध में बचे हुए असुरों में से एक असुर था। युद्ध के बाद इदुम्बन भगवान मुरूगन का भक्त हो गया। मंदिरों में होने वाले मुख्य त्योहारों में पांगुनी उथिरामस,पूसम तथा तिरूकररथिकई हैं। ऐसा माना जाता है कि पलानी आने वाले भक्तों को भगवान मुरूगन की पूजा करने का पूरा फल इदुम्बन को श्रंद्धांजली देने के बाद ही प्राप्त होता है।