मासिलमानी नाथर कोविल पांड्या राजवंश के राजा मारवर्मा कुलशेखर पांड्या द्वारा 1305 ई. में बनवाया गया था। यह उस अवधि की स्थापत्य शैली का एक उम्दा उदाहरण है। पूम्पुहर आने पर आपको यहाँ ज़रूर आना चाहिए। इस मंदिर की वास्तुकला प्राचीन समय में प्रचलित सम्मेलनों का एक अच्छा उदाहरण है।
समय के साथ मंदिर के सामने का अधिकतर हिस्सा टाइडल इरोज़न के कारण क्षतिग्रस्त हो गया था। मंदिर की जीर्ण अवस्था के कारण वर्तमान में यहाँ कोई भी धार्मिक आयोजन नहीं होता है। लेकिन फिर भी यह पूम्पुहर का एक प्रसिद्ध पर्यटन आकर्षण है। पूम्पुहर आने पर यहाँ पहुँचना बहुत आसान हो जाता है क्योंकि यह पूम्पुहर के कमर्शियल केंद्र के पास स्थ्ति है।