सिलवासा, भारतीय संघ शासित प्रदेश दादरा और नागर हवेली की राजधानी है। इस शहर को पुर्तगाली शासन के दौरान विला डी पाको द अरकॉस के नाम से जाना जाता था। पागल कर देने वाली भीड़ से अलग, सिलवासा एक प्रसिद्ध गंतव्य स्थल है जहां पर्यटक प्रकृति के शानदार नजारों का लुत्फ उठा सकते है और पुर्तगाल की सांस्कृतिक विरासत की छाप भी देख सकते है।
19 वीं सदी तक सिलवासा सिर्फ एक गुमनाम गांव था। 1885 में पुर्तगाली प्रशासन ने तय किया कि मुख्यालय को दरारा से सिलवासा में शिफ्ट कर दिया जाए। फरवरी 1885 में एक डिक्री पास हुई और सिलवासा की किस्मत बदल गई। उसके बाद सिलवासा एक शहर में बदल गया और इसका नाम विला डी पाको द अरकॉस पड़ गया। वर्तमान में सिलवासा, दादरा और नागर हवेली का सबसे परिचित स्थल है। वन्य जीवन और प्रकृति पर्यटन के क्षेत्र में रूचि रखने वाले पर्यटकों के लिए सिलवासा एक केंद्र है जहां आकर वह भरपूर आनंद उठा सकते है।
सिलवासा और उसके आसपास स्थित अन्य क्षेत्र
सिलवासा में बहुत कुछ ऐसा है जो आप देख और कर सकते है। यहां का मुख्य आकर्षण रोमन कैथोलिक चर्च है जिसकी वास्तुकला में एक अलग पुर्तगाली शैली झलकती है। दादरा और नागर हवेली में कई जनजातियों का घर है और वहां कई सस्ंकृति, परम्पराएं और इतिहास है। यहां आकर पर्यटक आदिवासी संस्कृति संग्रहालय की यात्रा कर सकते है। वन्यजीव के प्रति उत्साही पर्यटक, वसोना लॉयन सफारी की सैर कर सकते है जो सिलवासा से लगभग 10 किमी. की दूरी पर स्थित है।
यहां स्थित सफारी पार्क में कई शेर है जिन्हे गुजरात के गिर अभयारण्य से लाया गया है। मधुबन बांध, नदी दामिनी गंगा के निचले बहाव पर लगभग 40 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह स्थल पानी के खेल के प्रेमियों के लिए स्वर्ग है। दादरा पार्क, सिलवासा से लगभग 5 किमी. की दूरी पर स्थित है जहां एक सुरम्य झील है और कई बॉलीवुड गानों को इसी लोकेशन पर फिल्माया गया है। पास में ही स्थित वनगंगा झील भी फिल्म निर्माताओं और पर्यटकों के लिए एक पसंदीदा स्थल है।
यहां आकर पर्यटक दुधनी की भी सैर कर सकते है जोकि नदी दमनगंगा का विशाल वॉटरफ्रंट है। यह शानदार वॉटर कॉम्पलेक्स, पश्चिमी घाट के सुंदर तलहटी से घिरा हुआ है। लुहारी, एक शानदार सुंदरता वाला स्थल है जो राजधानी सिलवासा से लगभग 14 किमी. की दूरी पर स्थित है और प्रकृति में खो जाने का शानदार स्थान है। खानवेल, सिलवासा से दक्षिण में 20 किमी. की दूरी पर स्थित है जहां से हरी - भरी घास के मैदान, सीढ़ीदार उद्यान, देहाती कॉटेज और घने जंगल, कलकल बहती नदी, घुमावदार रास्ते और ठंडी मस्त हवा का मजा उठाया जा सकता है।
सतमालिया डीयर पार्क, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि यहां कई प्रकार की हिरण प्रजातियां हैं। वैसे इस पार्क में अन्य जानवर भी है। पर्यटक, यहां आकर काउन्चा की सैर भी कर सकते है जो सिलवासा का एक ठेठ आदिवासी गांव है, यह गांव सिलवासा से दक्षिण में 40 किमी. की दूरी पर स्थित है। यहां एक वृंदावन मंदिर भी है जहां भगवान शिव की आराधना की जाती है।
सिलवासा कैसे पहुंचे
सिलवासा, हवाई, रेल और सड़क माध्यम के द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
सिलवासा की सैर के लिए सबसे अच्छा समय
सिलवासा की सैर का सबसे अच्छा समय जून से नवंबर के बीच का होता है।