त्रिशूर के पुरातत्व संग्रहालय की स्थापना 1938 में हुई परंतु 1975 तक इसने अपना रूप प्राप्त नहीं किया जब तक कि यहाँ चित्र गैलरी का उपभवन और पुरातात्विक गैलरी नहीं बनाए गए। इस संग्रहालय की सैर एक रोचक यात्रा सिद्ध होगी क्योंकि यहाँ 7 वीं शताब्दी की प्राचीन पांडुलिपियाँ, खुदाई में मिली हुई वस्तुएँ और मूर्तियाँ देखने को मिलते हैं।
यद्यपि इस संग्रहालय में पूरे केरल से लाई गई कलाकृतियाँ शामिल हैं परंतु उनमें से अधिकांशत: त्रिशूर, वायनाड और पलक्कड़ से प्राप्त की गई हैं। प्रख्यात हस्तियों की आदमकद मूर्तियाँ, ऐतिहासिक इमारतों के लघु रूप और भित्ति चित्रों का एक व्यापक संग्रह यहाँ देखने को मिलता है।
यह इमारत स्वयं पूर्व और पश्चिम का अदभुत मिश्रण है। अवशेषों को विभिन्न रूपों में प्रदर्शित करने के संदर्भ में इस संग्रहालय को भारत के विभिन्न संग्रहालयों में से एक माना जाता है। यह उसी परिसर में स्थित है जिसमें त्रिशूर चिड़ियाघर है।