अलुवा एक स्थान है जो यहाँ के शिव मंदिर में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले महाशिवरात्रि के त्योहार के लिए प्रसिद्ध है। महाशिवरात्रि का त्योहार मनाने के लिए पूरे राज्य से यहाँ लोग एकत्रित होते हैं। अलुवा अन्य बड़े शहरों से भलीभांति जुड़ा है और यह कोची से 21कि.मी. दूर है। महाशिवरात्रि छः दिनों तक चलने वाला त्योहार है।
अलुवा के आसपास पर्यटक आकर्षण की जगह
अलुवा दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए अच्छे अवसर प्रदान करता है। यहाँ बहने वाली पेरियार नदी किसी का भी मन आसानी से मोह सकती है। साथ ही यहाँ का शिव मंदिर और सेमिनरी चर्च में भी देखने के लिए बहुत कुछ है। मर्थंदा वर्मा भी अपने इतिहास को बखूबी बयान करता है ये भी देखने में बहुत सुन्दर है।
कैसी है अलुवा की महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि छः दिनों तक चलने वाला त्योहार है। महाशिवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है, ’शिव की रात्रि’। ऐसा माना जाता है कि जब देवताओं और राक्षसों ने अमृत को खोजने के लिए सागर मंथन किया तो सागर में से अमृत के साथ विष का एक घड़ा निकला था। मानवजाति को बचाने के लिए भगवान शिव ने उस विष को पी लिया था। भगवान शिव की कृपा को याद रखने के लिए यह त्योहार मनाया जाता है तथा भगवान शिव को सम्मान देने के लिए उनके भक्त इस त्योहार की पहली रात्रि जागकर बिताते हैं।
इस त्योहार के दूसरे दिन अलुवा के निवासी ’वावुबली’ समारोह के द्वारा अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं। इस शहर में बहुत बड़े मेले का आयोजन होता है जिससे सारा शहर आनंदोत्सव में डूब जाता है।
इस त्योहार के तीसरे और चैथे दिन ’दिक्विजयम’ नामक शोभायात्रा निकाली जाती है। पाँचवे दिन ’पल्लीवेट्टा’ नामक एक धार्मिक अनुष्ठान किया जाता है और छठे दिन ’आरात्तु’ या ’आरती’ अथवा ’थपोत्सवम’ के साथ इस महोत्सव का समापन हो जाता है। यह मंदिर यहाँ होने वाले उत्सवों के लिए ही नहीं बल्कि अपनी शिल्पकला और जगह के लिए भी प्रसिद्ध है। वास्तुकार ने इस मंदिर को इस तरीके से बनाया है कि इसे देखने वालो को इसके अपूर्ण होने का भ्रम होता है। मंदिर के साथ बहने वाली पेरियार नदी इसकी सुंदरता को बढ़ाती है।
अलुवा की यात्रा का सबसे अच्छा समय
अलुवा जाने का सबसे अच्छा समय सितम्बर से नवम्बर के बीच का है ।