तिरुवंबाड़ी कृष्ण मंदिर भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए आध्यात्मिक स्वर्ग है। कई शताब्दियों से इस मंदिर ने अपनी कहानियों और किवदंतियों से अपनी लोकप्रियता को कायम रखा है। यह स्वराज गोल के पास स्थित है और सुबह 5 बजे से 11 बजे तक तथा शाम 5 बजे से 8:30 बजे तक खुला रहता...
बाइबल टॉवर रोमन कैथोलिक चर्च का एक महत्वपूर्ण चिन्ह है जो द बासिलिका ऑफ अवर लेडी ऑफ डॉलर्स (पुतेपल्ली) के साथ जुड़ा हुआ है। यहाँ एक बड़ा लाल रंग का क्रॉस है जो कहा जाता है कि रोमन कैथोलिकों को रास्ता दिखाता है। 2007 में उद्घाटित हुई केरल की यह सबसे ऊँची संरचना...
त्रिशूर के पुरातत्व संग्रहालय की स्थापना 1938 में हुई परंतु 1975 तक इसने अपना रूप प्राप्त नहीं किया जब तक कि यहाँ चित्र गैलरी का उपभवन और पुरातात्विक गैलरी नहीं बनाए गए। इस संग्रहालय की सैर एक रोचक यात्रा सिद्ध होगी क्योंकि यहाँ 7 वीं शताब्दी की प्राचीन...
तिरुविल्वामला एक सुंदर गाँव है जो त्रिशूर से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। प्रमुख रूप से मंदिरों के लिए प्रसिद्द इस गाँव में मंदिरों का दल है जिनमे भगवान कृष्ण और भगवान शिव की मूर्तियां स्थापित हैं। केरल में भगवान राम को समर्पित मंदिरों की संख्या कम है;...
परमेकवु भगवती मंदिर केरल के प्राचीन मंदिरों में से एक है लगभग 10000 वर्ष पुराना। यह केरल का सबसे बड़ा मंदिर है जो माँ भगवती को समर्पित है जो देवी दुर्गा का एक रूप है। ऐसा विश्वास है कि जब प्रतिवर्ष त्रिशूर पुरम उत्सव का जुलूस उत्साह और उलास के साथ मनाया जाता है तब...
अप्पन तम्पुरम स्मारकम एक सांस्कृतिक संग्रहालय है, अगर देखा जाए तो यह उस आदमी के प्रति सम्मान है जिसने त्रिशूर शहर का निर्माण किया था, रामावार्मा अप्पन तम्पुरम जिन्हें संकटन तम्पुरम भी कहा जाता है तथा ये एक शक्तिशाली शासक थे। उनकी विरासत के सम्मान में केरल साहित्य...
कूदक्कालू इतिहास का एक अद्वितीय अनुभव और परिवार के साथ शांत समय प्रदान करता है। उदक्कालू का वस्तुत: अर्थ है चट्टान छतरी जो चट्टानों का एक समूह होता है जिसका आकार एक मशरूम(कुकुरमुत्ते) या बौने छाते की तरह होता है। ये चट्टानें 4000 वर्ष पुरानी है और ऐसा माना...
शंकर समाधि महान अद्वैत दार्शनिक श्री आदि संकर के आराम का स्थान है। सामान्य रूप से यह माना जाता है कि श्री संकर को ईस्वी 820 में त्रिशूर में 32 वर्ष की आयु में मोक्ष प्राप्त हुआ था। पास ही उन लोगों के लिए श्री संकर की छोटी परंतु आकर्षक छवि वाला मंदिर भी बनाया गया...
शक्तन तम्पुरन महल जो पहले वदाक्केचिरा कोविलाकम के नाम से जाना जाता था त्रिशूर शहर के वास्तुकार अप्पन तम्पुरन स्मारकम का महल है। कोच्चि राजवंश के इस महल का पुन: निर्माण 1795 में सक्थन थम्पुरन ने केरल – डच शैली में करवाया। इस महल को 2005 में संग्रहालय में बदल...
त्रिशूर के राज्य संग्रहालय की स्थापना 1885 में हुई। 13.5 एकड़ के क्षेत्र में फैले हुए इस संग्रहालय में आराम से टहलने के लिए एक बड़ा परिसर है। संग्रहालय स्वयं बहुत बड़ा नहीं है परंतु इतिहास के विभिन्न कालों की विभिन्न कलाकृतियाँ यहाँ देखने को मिलती हैं।
केरल...
अरट्टूपुझा मंदिर मंदिर लगभग 3000 वर्ष पुराना है और त्रिशूर शहर से लगभग एक घंटे की दूरी पर अरट्टूपुझा गाँव में स्थित है। ऐसा विश्वास है कि भगवान अय्यप्पा को समर्पित इस मंदिर में एक दैवीय शक्ति मौजूद है। पूरे वर्ष इस स्थान पर पूजा करने के लिए भक्तों का तांता लगा...
त्रिशूर शहर से 15 किमी. की दूरी पर स्थित पीची बाँध का निर्माण त्रिशूर के आसपास के गाँवों के लिए सिंचाई की परियोजना के तहत किया गया। समय के साथ धान के किसानों की आवश्यकता को पूरा करते हुए बाँध के आसपास के क्षेत्र को सौंदर्यीकरण परियोजनाओं के लिए ले लिया जिसके...
केरल कलामंडलम वास्तव में केरल की कला और संस्कृति को बढ़ावा देने और प्रचार करने के लिए एक केंद्र है। एक शैक्षणिक संस्थान जो ललित कलाएँ सिखाता है, यह एक आवासीय परिसर है जो इसके संरक्षकों को उनकी कला के प्रति पूर्ण प्रतिबद्धता की अनुमति देने के उद्देश्य से बनाया गया...
पीची वन्यजीवन अभयारण्य पीची शहर के सुखदायक स्थलों का एक विस्तार है। इसमें पलाल्लिल्ली और नेलियम्पती जंगलों सम्मिलित हैं और यह लगभग 125 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।19 वीं शताब्दी तक यह क्षेत्र निजी संपत्ति के अधीन था।
वर्ष 1958 में इसे एक...
परम्बिक्कुलम वन्य जीवन अभयारण्य प्रकृति प्रेमियों के लिए घर के समान है। युक्तिपूर्ण रूप से तमिलनाडु की अन्नामलाई श्रेणियों और केरल की नेल्लियमपती श्रेणियों के बीच स्थित इस घाटी का दौरा इसके प्राकृतिक वातावरण के लिए अवश्य करना चाहिए। इस अभयारण्य में वनस्पतियां और...