भूतनाथ मंदिर भूतनाथ समूह के दो प्रमुख मंदिरों में से एक है। बलुआ पत्थर से बना यह मंदिर भगवान शिव के भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है जिनकी यहाँ भूतनाथ अवतार में पूजा की जाती है। भूतनाथ का अर्थ है “आत्माओं के देवता”। खुला मंडप (कक्ष या वरांडा) झील तक फैला...
मल्लिकार्जुन मंदिर भूतनाथ मंदिरों के समूह का एक भाग है तथा इस क्षेत्र का दूसरा सबसे प्रमुख मंदिर है। अगस्त्य झील के उत्तर पूर्व में स्थित इस मंदिर की संरचना सीढीनुमा है जो कल्याणी चालुक्यों की वास्तुकला की विशेषता है। इस मंदिर की कई विशेषताएं हैं जैसे क्षैतिज परत,...
मालेगट्टी शिवालय एक चट्टानी पहाड़ी पर शहर से 2 किमी. की दूरी पर स्थित है तथा यह 7 वीं शताब्दी के प्राचीन पाषाण मंदिरों में से एक है। यह मंदिर माला बनाने वाले, भगवान शिव के कोमल पहलू को समर्पित है तथा इसे बिना मोर्टार तथा द्रविड़ स्तंभों के बनाया गया है।
इसके...
यदि समय हो तो बादामी की सैर करने वाले पर्यटकों को दत्तात्रय मंदिर की सैर अवश्य करनी चाहिए। 12 शताब्दी का यह मंदिर धारवाड़ के गाँधी चौक पर स्थित है तथा सभी स्थानों से यहाँ आसानी से पहुंचा जा सकता है। दत्ताना गिडू के नाम से लोकप्रिय यह मंदिर भगवान दत्तात्रय को...
पर्यटकों को यह सलाह दी जाती है कि वे बादामी के पास उत्तर किले के शीर्ष पर दृश्य स्थलों पर अवश्य रुकें। इन स्थानों से संपूर्ण शहर का दृश्य बिना किसी रूकावट के देखा जा सकता है।
कहा जाता है कि बादामी के पास स्थित बनशंकरी मंदिर का निर्माण 7 वीं शताब्दी में कल्याण के चालुक्यों ने किया था। स्कंद पुराण तथा पदम पुराण के अनुसार इस मंदिर के मुख्य देवता जिन्होंने बनशंकरी में दुर्गमासुर नाम के राक्षस को मारा था, देवी पार्वती का अवतार हैं जो...
बादामी की यात्रा करने वाले पर्यटकों को बलुआ पत्थर से बने गुफा मंदिरों की सैर अवश्य करनी चाहिए। ये मंदिर अपनी सुंदर नक्काशियों के लिए जाने जाते हैं तथा इन नक्काशियों में पौराणिक तथा धार्मिक घटनाएं और शिक्षा दिखाई गई है। यहाँ चार मंदिर हैं जिनमें से गुफा मंदिर 1...
बादामी किला इस क्षेत्र का एक प्रमुख आकर्षण है जो एक पहाडी के शीर्ष पर बादामी गुफाओं के ठीक सामने स्थित है। यह किला मुख्य शहर से 2 किमी. की दूरी पर तथा भूतनाथ मंदिर की पूर्व दिशा में स्थित है। एक समय में यह चालुक्य वंश के राजाओं का घर था। इस किले तक केवल पैदल ही...
बादामी की सैर करने वाले पर्यटकों को पुरातात्विक संग्रहालय की सैर अवश्य करनी चाहिए जो इस शहर का एक प्रमुख आकर्षण है। इस संग्रहालय का निर्माण भारतीय पुरातत्व विभाग ने वर्ष 1979 में किया था तथा पहले इसका उपयोग शिलालेखों, मूर्तियों तथा खोजे गए पदार्थों के संरक्षण के...