बादल महल दरवाज़ा वास्तव में एक द्वार की एकैकी संरचना है जो किसी महल में नहीं खुलती। यह ऐतिहासिक दरवाज़ा चंदेरी के केंद्र में जामा मस्जिद के पास स्थित है।
इस दरवाज़े का निर्माण मालवा के राजा महमूद शाह खिलजी ने 15 वीं शताब्दी में करवाया था। इसका निर्माण एक...
थरुवंजी, चंदेरी के पास स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह एक पुराना गाँव है जो चंदेरी शहर से 26 किमी. की दूरी पर दक्षिण पश्चिम में स्थित है। यह गाँव सभी लोगों के लिए एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है परंतु जैन लोगों के लिए इसका विशेष महत्व है।
थरुवंजी इस गाँव...
कौशक महल एक प्रभावशाली महल है जो चंदेरी से 4 किमी. की दूरी पर स्थित है। इस महल का निर्माण मालवा के सुल्तान महमूद शाह खिलजी ने 1445 में करवाया था। इसका निर्माण कालपी के युद्ध में महमूद शाह को मिली जीत की याद में करवाया गया।
इस युद्ध में उसने सुल्तान महमूद...
हाथ सल चंदेरी की अन्य दो प्रसिद्ध संरचनाओं बाला किला और खूनी दरवाज़ा के बीच स्थित है। इसका निर्माण पंद्रहवीं शताब्दी के प्रारंभ में हुआ था। हाथ सल को चंदेरी के बाज़ार स्थान के रूप में याद किया जाता है। इस बाज़ार स्थान की विशेषता यह थी कि इस बाज़ार में पैदल यात्रियों...
देवगढ़ बेतवा नदी के किनारे स्थित एक सुंदर गाँव है। यह छोटा सा गाँव प्राकृतिक सुन्दरता से घिरा हुआ है और इसका समृद्ध इतिहास है। यह चंदेरी से 71 किमी. की दूरी पर स्थित है।
यह गाँव एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थान है। देवगढ़ में बहुत सारी संरचनाएं और पुरातात्विक महत्व...
राजा महल सात मंजिला इमारत है जो चंदेरी के अंदर शहर में स्थित है। यह उन कुछ महलों में से एक है जो आज भी चंदेरी की शोभा बढ़ाते हैं। एक समय था जब चंदेरी में 260 महल थे, जिनमें से आज केवल 43 ही बचे हैं। यह महल 15 वीं शताब्दी की वास्तुकला शैली को दर्शाता है।
यह...
चंदेरी के राजमहल को बनाने वाले दो किलो में से एक रानी महल है। दोनों महलों में रानी महल छोटा है। यह चार मंज़िला इमारत है जो एक गुप्त रास्ते से राजा महल से जुड़ी हुई है।
यद्यपि ये दोनों महल पास पास बने हैं फिर भी इनकी वास्तुकला की शैली और डिज़ाइन अलग अलग हैं।...
पठानी दरवाज़ा चंदेरी में स्थित एक भव्य प्रवेश द्वार है। यह दरवाज़ा बीते हुए समय की भव्यता का प्रमाण है। संकरे बुर्ज़ वास्तुकला की प्रभावशाली शैली को प्रदर्शित करते हैं और प्राचीन काल में शहर में प्रचलित थे। इस संरचना के सजावटी फ़लक इस संरचना की वास्तुकला की उत्कृष्टता...
चंदेरी का हैंडलूम (हथकरघा) यूनिट अपनी आकर्षक चंदेरी साड़ियों के लिए देश विदेश में प्रसिद्ध है। चंदेरी ज़री की बुनाई और मलमल की साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है जो रेशम और कॉटन (कपास) से बनी होती हैं।
चंदेरी बुनाई 4 थी शताब्दी में प्रारंभ हुई। इस प्रभावशाली बुनाई ने...
बत्तीसी बावड़ी चंदेरी की सबसे प्रसिद्ध और बड़ी बावड़ी है। ऐसा विश्वास है कि जब तक समुद्र में पानी रहेगा तब तक इस बावड़ी में पानी रहेगा। इस बावड़ी के बारे में रोचक बात यह है कि पूरे साल इस बावड़ी में पानी का स्तर एक जैसा रहता है।
इस बावड़ी का आकार चौकोर है जिसकी...
पुराना चंदेरी, चंदेरी से 19 किमी. की दूरी पर उर्वशी नदी के किनारे स्थित है। इस स्थान को बुड्ढी चंदेरी भी कहा जाता है। इससे कई ऐतिहासिक और वैदिक महत्व जुड़े हुए हैं और इसे महाकाव्यों में इतिहास के पन्नों में स्थान प्राप्त है। पुराना चंदेरी गाँव जैन समुदाय का मुख्य...
शहज़ादी का रौज़ा एक प्रभावशाली स्मारक है जो 12 फुट की ऊंचाई पर बना हुआ है। यह संरचना परमेश्वर तालाब के पास स्थित है। बाहरी दीवार ऊंची पहली मंजिल और छोटी दूसरी मंजिल को दर्शाती है। इन दोनों मंजिलों पर छज्जे अद्वितीय रूप से डिज़ाइन किये हुए सर्पिल कोष्ठकों पर रखे हुए...
परमेश्वर ताल एक शानदार जल स्त्रोत है जिसके आसपास का वातावरण रमणीय है। यह तालाब ऐतिहासिक चंदेरी शहर से आधे किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसका निर्माण बुंदेल राजपूत राजाओं ने करवाया था। तालाब के किनारे भगवान लक्ष्मण को समर्पित एक मंदिर है। यह मंदिर वास्तुकला का एक...
सिंहपुर महल विंध्याचल की श्रेणियों में हरे भरे वातावरण में स्थित है। यह महल चंदेरी से 4 किमी. की दूरी पर स्थित है। इस महल की इमारत तीन मंज़िला है जिसका निर्माण वर्ष 1965 में देवी सिंह बुंदेला ने करवाया था। इस महल का निर्माण शिकार के दौरान राजा के विश्राम गृह के...
बाला किला एक छोटा परंतु महत्वपूर्ण किला है। यह उस पहाड़ी की तलहटी में स्थित है जिस पर कीर्ति दुर्ग बना हुआ है। इस किले का नाम कन्निंघुम के द्वारा रखा गया। बाला किले का मुख्य आधार गोलाकार है जिसका आयाम 7 मीटर है और यह 70 मीटर पर स्थित है।
किले से पत्थर के...