सरहिंद-मोरिंदा सडक पर स्थित गुरुद्वारा फ़तेहगढ़ साहिब सिखों का एक मुख्य धार्मिक स्थल है। ऐसा विश्वास है कि वर्ष 1704 में साहिबज़ादा फतेहसिंह और साहिबज़ादा जोरावर सिंह को सरहिंद के फौजदार वज़ीर खान के आदेश पर दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था। यह गुरुद्वारा उन्हीं की शहादत की याद में बनाया गया था।
गुरुद्वारा के अंदर परिसर में कई प्रसिद्ध संरचनाएं हैं जैसे कि गुरुद्वारा भोरा साहिब, गुरुद्वारा बुर्ज माता गुजरी, गुरुद्वारा शहीद गंज, टोडरमल जैन हॉल एवं सरोवर। प्रवेशद्वार सफ़ेद पत्थर से बनाया गया है और यह संगमरमर से बने एक सफेद रास्ते की ओर ले जाता है।
गुरुद्वारे का मुख्य विशिष्ट सिख वास्तुकला का नमूना है जिसमें सफ़ेद पत्थर की संरचनाएं एवं स्वर्ण गुंबद है। शहीदों के बलिदान की स्मृति में दिसंबर के महीने में यहाँ शहीदी जोर मेला मनाया जाता है। यहाँ की स्थिरता एवं शांतता पर्यटकों को एक वास्तविक ऐतिहासिक स्थल देखने का अवसर प्रदान करती है।