गुरुद्वारा ज्योति सरूप, सरहिंद- चंडीगढ़ रोड पर स्थित है और फतेहगढ़ साहिब से लगभग एक किमी दूर है। इसे गुरु गोबिंद सिंह जी की माता गुजरी देवी और उनके दोनों पुत्रों साहिबज़ादा फतेहसिंह और साहिबजादा जोरावर सिंह के अंतिम संस्कार की स्मृति में बनाया गया था।
ऐसा कहा जाता है कि सरहिंद के फौजदार वज़ीर खान के डर की वजह से इन शहीदों के अंतिम संस्कार के लिए कोई भी अपनी जमीन देने को तैयार नहीं था। इसके बाद टोडरमल ने, जो कि गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रबल अनुयायी थे, उनके अंतिम संस्कार के लिए एक किसान से ज़मीन खरीदी। सफ़ेद संरचनाएं एवं गुंबद इस गुरुद्वारे के प्रमुख आकर्षण हैं।