हरे भरे घने जंगल, खूबसूरत झीलें और विशाल पर्वत श्रृंखलाओं के अलावा कोंकण बेल्ट सावंतवाड़ी को एक बहुत ही आकर्षक पर्यटक स्थल बनाती है। ऐसी परिस्थितियों के कारण ये कहना बिलकुल भी अतिश्योक्ति नहीं होगी की सावंतवाड़ी को मां प्रकृति का सच्चा आशीर्वाद प्राप्त है। इसकी रचना जितनी जटिल है इसका सांस्कृतिक रंग उतना ही सुन्दर और मनमोहक है।
सावंतवाडी, महाराष्ट्र के दक्षिण - पश्चिम में बसे सिंधुदुर्ग जिले में एक छोटा सा शहर है। इस शहर का नाम सावंतवाड़ी यहां रहने वाले शासकों खेम - सावंत के वंश के बाद रखा गया है। ये यहां का शाही परिवार था और इसी परिवार के सम्मान के मद्देनजर इस जगह का नाम सावंतवाड़ी पड़ा।
ये जगह सावंतवाड़ी अपने पूर्व पश्चिम में अरब सागर पर पश्चिमी घाट से जुडी है। साथ ही इस जगह को काव्य प्रेमियों की भी जगह कहा गया है। ये जगह बहुत ही शांत और निर्मल है इस जगह के बारे में ये भी कहा जाता है की ये एक धीमी गति की जगह है। यहां जाकर व्यक्ति आसानी से अपना आत्मविश्लेषण कर सकता है या यूँ भी कहा जा सकता है की ये जगह व्यक्ति को उसका आत्मविश्लेषण करने में मदद करेगी, अगर व्यक्ति को उसकी यादों को अंतहीन बनाना है तो वो जरूर इस जगह पर्फ जाये। ये घूमने के लिए एक आदर्श जगह है। सावंतवाड़ी पूरी तरह से कोंकण स्वाद को दर्शाने वाली जगह है और ये जगह गोवा के विश्व प्रसिद्ध समुद्र तट से दूर से बस कुछ ही दूर है। जब भी व्यक्ति गोवा आए उसे इस जगह पर जरूर आना चाहिए।
लोग
पहले सावंतवाडी मराठा साम्राज्य का एक अभिन्न अंग था। इसे मराठा साम्राज्य का केंद्र बिंदु कहा जाता था। बाद में ये एक अलग रियासत बन गया और मलवानियों के हाथ में आ गया। यहाँ के लोग अपनी संस्कृति, कला और शिल्प में कुशल संलग्न हैं साथ ही यहाँ के लोग अपेक्षाकृत धीमा, शांत जीवन जीते हैं। अगर बात यहां की जनसंख्या की हो तो यहां मराठा लोगों की तादाद ज्यादा है। साथ ही यहां कोंकणी ब्राहमण, दलित और मलवानी मुस्लिम भी भारी मात्रा में रहते हैं।
खाना
भालेराव खानावल सावंतवाडी का प्रमुख फ़ूड ज्वाइंट है व्यक्ति जब भी यहां सावंतवाडी जाये तो उसे यहां जरूर जाना चाहिए। इस जगह जाकर आप पारंपरिक कोंकणी भोजन का लुत्फ़ ले सकते हैं। यहां बनने वाले भोजन में नारियल का इस्तेमाल प्रचुरता से किया जाता है क्योंकि नारियल यहां का मुख्या भोजन है।
संस्कृति
यहां पर आकर पर्यटक घूमने औजर मौजमस्ती के अलावा कला और शिल्प मदों की शॉपिंग का भी आनंद ले सकते है। ये सामान यहां घरों में छोटे कारखाने स्थापित करके बनाया जाता है। यहां मिलने वाला ज्यादातर सामान लकड़ी का होता है जिसमें खिलौने कलाकृतियां, पेंटिंग और अन्य कलाकृति शामिल हैं। यहां आने वाले पर्यटकों को कई सामान ऐसे भी मिल जाएँगे जिसमें बांस की लकड़ी का इस्तेमाल होता है। ये सामान बड़ी ही खूबसूरती के साथ बनाए जाते है जो किसी का भी मन मोह सकते हैं।
सावंतवाडी में बोली जाने वाली लोकप्रिय भाषाओं कोंकणी, मराठी, उर्दू और अंग्रेजी हैं। अगर आप वन्य जीवो से मोह रखते है तो यहां आकर जंगली बिसन्स, तेंदुओं, जंगली सुअरों और बाघों को देखना मत भूलिए। साथ ही प्रकृति प्रेमियों को यहां उगने वाली जड़ी बूटियों और औषधीय वृक्ष अपनी तरफ आकर्षित करेंगे।
सावंतवाडी, एक दिलचस्प जगह होने के कारण आने वालों को ग्रामीण भारत की एक झलक दिखाता है। यहां आने वाले पर्यटकों को मोती तलाव और रॉयल पैलेस जरूर घूमना चाहिए। साथ ही अत्मेश्वर तली, नरेन्द्र गार्डन, हनुमान मंदिर, अम्बोली हिल स्टेशन, विट्ठल मंदिर घूमने के नजरिये से इस जगह को और भी ख़ास बनाते हैं।