कोडुन्गल्लुर, त्रिशूर जिले का एक छोटा सा शहर है, जो मालाबार समुद्र तट पर स्थित है। मुख्य रूप से अपने बंदरगाह और देवी भगवती के मंदिर के लिए जाना जाने वाला यह शहर कई शताब्दियों को आपस में जोड़ता है। इस शहर का ऐतिहासिक महत्व इस बात पर आधारित है कि ईसा पश्चात 7 वीं शताब्दी के दौरान यह चेरमन राजाओं की राजधानी था। कोडुन्गल्लुर की समुद्र से निकटता के कारण यह हिंद महासागर में व्यापार की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। आधुनिक इतिहासकारों के अनुसार मध्य पूर्व के कई देशों जैसे सीरिया, एशिया माइनर और मिस्त्र के साथ इस शहर की व्यापारिक कड़ियाँ जुड़ी हुई है।
प्राचीन इतिहास, जीवंत संस्कृति
प्राचीन समय से कोडुन्गल्लुर दूसरे देशों के बीच मसालों के मुख्य निर्यातक के रूप में प्रसिद्द था। यहाँ से निर्यात की जाने वाली वस्तु काली मिर्च थी जो यवना प्रिया के नाम से जानी जाती थी। बैकवॉटर और समुद्र से घिरे हुए इस शहर में एक शानदार प्रागैतिहासिक अतीत पनपता था। कोडुन्गल्लुर में एक प्राचीन बंदरगाह है जहाँ ईसा पूर्व पहली शताब्दी में समुद्री गतिविधियाँ होती थी।
कोडुन्गल्लुर की संस्कृति इसके समुद्र तटों की आभारी है जो विभिन्न धर्मों और विश्वासों जैसे ईसाई, यहूदी और इस्लाम धर्म तथा अन्य धर्मों के लिए प्रवेश द्वार के समान है। कोडुन्गल्लुर को केरल में ईसाई धर्म के आगमन के रूप में पहचाना जाता है और ऐसा माना जाता है कि ईसा पश्चात 52 में सेंट थॉमस भारत में ईसामसीह के सिद्धांतों का प्रचार करने के लिए यहाँ उतरे थे। यह शहर भारत में पहली बार बने हुए चर्च के लिए प्रसिद्द है। भारत के जीवंत मुस्लिम इतिहास में भी कोडुन्गल्लुर का महत्वपूर्ण भाग है। चेरमन जुमा मस्जिद जिसका निर्माण ईसा पश्चात 629 में हुआ था, भारत का पहला मुस्लिम पूजा का स्थान माना जाता है।
संस्कृतियों और धर्मों का शुष्क इत्र
समकालीन समय में कोडुन्गल्लुर शहर यात्री और एक इतिहासकार दोनों को समान रूप से संतुष्ट करता है। यात्री यहाँ सुंदर समुद्र तटों की झलक देखने, इतिहास मे गोता लगाने और विभिन्न धार्मिक स्थानों की झलक देखने के लिए आते हैं। अरब सागर और पेरियार नदी से घिरा हुआ यह स्थान प्रकृति प्रेमियों के उत्साह को अच्छी तरह से पूर्ण करता है।
एक उत्साही यात्री के लिए यह शहर दर्शनीय स्थलों की यात्रा के विकल्पों की एक विस्तृत विविधता प्रदान करता है। कोडुन्गल्लुर का नाम केरल के आधुनिक इतिहास में भगवती देवी मंदिर के लिए जाना जाता है। शहर के प्रमुख स्थान पर स्थित कुरुम्बा भगवती मंदिर (कोडुन्गल्लुर भगवती मंदिर या कुरुबकवु मंदिर) के इष्ट देव, देवी भद्रकाली है। कोडुन्गल्लुर भरनि और थाल्प्पोली त्यौहारों के लिए प्रसिद्ध यह मंदिर त्यौहार के मौसम के दौरान लाखों भक्तों को आकर्षित करता है।
अन्य धार्मिक महत्व के स्थान कीज्हथाली महादेव मंदिर, कूदाल्मानिक्यम मंदिर, मार् थोमा पवित्र स्थल, श्रीन्गापुरम महादेव मंदिर, तिरुवंचिक्कुलम महादेव मंदिर और त्रिप्रायर श्री राम मंदिर हैं। कोडुन्गल्लुर का सुनहरा, रेतीला और खजूर के वृक्षों की श्रृंखला वाला कद्दिपुरम समुद्र तट, बीच (समुद्र तट) प्रेमियों और वॉटर स्पोर्ट्स के उत्सुकों को आकर्षित करता है।कोट्टाप्पुरम किले के अवशेष अन्य आकर्षण अहि जो पर्यटकों को आकर्षित करता है।
कोडुन्गल्लुर के आस पास के स्थान
केरल के हृदय में स्थित कोडुन्गल्लुर सराहनीय तरीके से जुड़ा हुआ है। यह कोच्चि और त्रिशूर से लगभग एक समान दूरी पर स्थित है और यह केरल के दक्षिणी और उत्तरी दोनों भागों से जुड़ा हुआ है। वह चीज जो इसे केरल के अन्य छोटे शहरों से अलग बनाती है वह है इसका जलमार्ग। पश्चिम तट नहर उच्च पर्यटन क्षमता के साथ भारत में एक महत्वपूर्ण नौगम्य क्षेत्र है।
अन्य दक्षिण भारतीय शहरों के समान कोडुन्गल्लुर में भी वर्ष में अधिकांश समय उष्णकटिबंधीय जलवायु रहती है। इस शहर की समुद्र तट से निकटता यहाँ की जलवायु को सुंदर बनाती है। एक धड़कते इतिहास और असंख्य धार्मिक स्थानों के साथ, कोडुन्गल्लुर यात्रियों के लिए एक अद्वितीय और विशिष्ट अनुभव प्रदान करता है।