कंजिरापल्ली केरल के कोट्टयम जिले में स्थित है। यह एक तालुका और छोटा शहर है। यहाँ सीरिया के ईसाईयों की बड़ी आबादी है। यहाँ की जनसंख्या में मुसलमान और हिंदू भी शामिल हैं। इस धार्मिक उपनिवेश ने यहाँ की संस्कृति पर प्रभाव डाला है।
इस शहर का नाम इस क्षेत्र में बहुतायत में पाए जाने कंजिम वृक्षों के नाम पर पड़ा है। कोय्यिन आदिवासी यहाँ के मूल निवासी थे और संभवत: वे प्रारंभ में यहाँ आकार बसे थे। बाद में तमिल अधिवासी आए और उनका प्रवसन और बस्तियाँ बसनी प्रारंभ हुई। इस क्षेत्र पर पांड्य राजकुमार ने कब्ज़ा कर लिया जिसने प्रवासन का प्रबंध किया। इन अधिवासियों में से अधिकांशत: तमिल व्यापारी थे जिन्होंने इस क्षेत्र में बसने के बाद खेती प्रारंभ कर दी। प्रथम तमिल अधिवासियों को कन्नान्नुर चेट्टीस् के नाम से जाना जाता था और वे चेट्टीनाड गाँव के थे।
धार्मिक सद्भाव की एक प्रतिमा – कंजिरापल्ली में तथा इसके आसपास पर्यटन स्थल
यहाँ के आकर्षणों में गणपतियर कोविल, सेंट मेरीज़ चर्च, मदुरै मीनाक्षी मंदिर, नैनारू मस्जिद, सेंट डोमिनिकस् सिरो मालाबार कैथोलिक कैथेड्रल और अन्य शामिल हैं। गणपतियर मंदिर इस क्षेत्र पर पड़े प्रभाव को दर्शाता है, जो बहुत प्राचीन माना जाता है। यह उनकी संस्कृति और परंपराओं का एक उदाहरण है जिसका वे पालन करते हैं। इस क्षेत्र में सीरियन कैथोलिक ईसाईयों की बहुत बड़ी आबादी है जिनके पूर्वज निलाक्कल नामक क्षेत्र में थे जो एक समय में व्यापार का एक महत्वपूर्ण केंद्र था।
यहाँ निर्मित सबसे प्राचीन चर्च पज़हायापल्ली (सेंट मेरीज़ प्राचीन चर्च) के नाम से जाना जाता है जिसका निर्माण 1449 में, प्रथम पुर्तगाली व्यक्ति के भारत में प्रवेश करने के भी पहले हुआ था। नैनारू चर्च जो यहाँ का सर्वाधिक प्रमुख आकर्षण है, की सैर के लिए प्रतिवर्ष हजारों मुसलमान आते हैं। इस धार्मिक स्थान का निर्माण एक मुस्लिम संत की याद में किया गया है जो बाद में हिंदू भगवान अय्यप्पन के भक्त बन गए थे।