‘खुदा का अपना घर’ कहा जाने वाला इडुक्की, पर्यटकों के लिए एक आकर्षक स्थल है। हरे-भरे व घने वनों से घिरे तथा हरित पर्वतों से सुशोभित यह स्थान, भारत की सबसे ऊंची चोटी अनामुडी के यहां होने पर इतराता है। इसके अलावा, यहां दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आर्क बांध भी है।
चेर राजवंश के एक हिस्सा होने के नाते तथा कई प्रारम्भिक यूरोपीय जातियों के यहां बसने की वजह से इडुक्की इतिहास में भी उल्लेखनीय है। यह स्थान सदियों तक एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र रहा है क्योंकि यहां से शीशम, चंदन, हाथीदांत, और मोर आदि का सुदूरवर्ती देशों में निर्यात किया जाता था।
इडुक्की में प्रस्तरयुगीन सभ्यता के सबूत पाये गये हैं,हालांकि कई इतिहासकारों का मानना है कि पुरापाषाणकालीन लोग यहाँ बसे हुए थे। मेन्हिर के अवशेषों तथा प्रस्तरयुगीन कब्रिस्तान की खुदाई 1947-48 में उदुमबंकोला और पीरमेडू के निकट की गई थी।
26 जनवरी, 1972 में बना, इडुक्की जिला, केरल का दूसरा सबसे बड़ा जिला है। इसमें कई महत्वपूर्ण शहर है जैसे देवीकुलम, आदिमलाई,उदुमबंकोला,थेकाडी,मरिक्केडि,पीरमेडु तथा थोडुपुझा । इडुक्की में थोडुपुझा, पेरियार, और थाल्या नदियां भी हैं।अनामुडी के अलावा यहां 2000 मीटर से अधिक ऊंचाई वाली तेरह अन्य चोटियां भी हैं।
इडुक्की को केरल पावर हाउस(बिजलीघर) कहा जा सकता है क्योंकि यह राज्य की हाइड्रोइलैक्ट्रिक पावर की खपत का 66% आपूर्ति को पूरा करता है। इडुक्की में इडुक्की आर्क बांध, कुलामावू बांध और चेरूथनी बांध तीन महत्वपूर्ण बांध हैं। सुंदर पृष्ठभूमि में स्थित ये बांध घूमने लायक हैं, इसके अलावा, इडुक्की के एक महत्वपूर्ण हिल स्टेशन रमाकलमेडु में एक पवन ऊर्जा फार्म है ।मलंकारा जलाशय, केरल की एक महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजना, आगंतुकों के लिए नौकायन और मछली पकड़ने के लिए पसंदीदा जगह है।इडुक्की में आगंतुकों के लिए कई आकर्षण मौजूद हैं।
सुंदर परिदृश्यों के अलावा, यहां कई चाय बागान और कॉफी बागान, शांत झरने तथा मनमोहक झीलें और कुछ वन्य जीव अभयारण्य भी हैं। इडुक्की के प्रसिद्ध बागान मरिक्केडि में चाय और कॉफी की खुशबू हवा में तैरती है।नेदुम्कंदम हिल मसाले की भूमि के रूप में जानी जाती है तथा यहां काली मिर्च और इलायची की खेती की जाती है ।तहखाने कोविल के झरने आगंतुकों के स्वागत के लिए इशारा करते लगते हैं।
इडुक्की में पर्यटकों के आकर्षण-
इडुक्की में एक प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण मंगला देवी मंदिर है, जो समुद्र की सतह से 1337 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।यह मंदिर वदक्कमकूर राजा द्वारा निर्मित किया गया माना जाता है।अन्नमाला मंदिर वास्तुकला की चोल शैली में बनाया गया है। करिकोड में आप एक प्राचीन किले और निनार मस्जिद, जो वदक्कमकूर राजा द्वारा अपने मुस्लिम सैनिकों के लिए निर्मित मानी जाती है, के अवशेष भी देख सकते हैं । थोडुपुझा के पास एक पुराना चर्च है, जो 13 वीं सदी से पहले का माना जाता है। थेकाडी में प्रसिद्ध पेरियार राष्ट्रीय उद्यान है।
करिंजमाला अभ्यारण्य में कई दुर्लभ वनस्पतियां और वन्यजीव प्रजातियों पायी जाती हैं। इससे सटे क्षेत्र में चिनार वन्यजीव अभ्यारण्य, इंदिरा गांधी वन्यजीव अभ्यारण्य, आनामुड़ी शोला राष्ट्रीय उद्यान, एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान और पम्पदुम शोला राष्ट्रीय उद्यान हैं। दुनिया के हर कोने से लोग यहाँ नीलगिरि तहर, नीलगिरि जंगली कबूतर, गौर, बैंगनी फ्राग टाइगर, सफ़ेद विशालकाय गिलहरी, हाथी, सांभर हिरण और नीलकुरिंजी देखने आते हैं।
थेकाडी पक्षी अभयारण्य या सलीम अली पक्षी अभयारण्य, पक्षियों तथा कई स्वदेशी सरीसृपों और जानवरों का बसेरा है। आप यहां प्रायद्वीपीय ग्रे रंग के जंगली उल्लू, मालाबार ग्रे हॉर्नबिल, गुलाब बिल्ड रोलर, लाल गले का बार्बर, क्रेस्टेड सर्पेंट ईगल, ग्रेट इंडियन हॉर्नबिल और फेयरी ब्लूबर्ड जैसे लुप्तप्राय पक्षियों को देख सकते हैं।
यदि आपको ट्रैकिंग अभियान अच्छा लगता है, तो आपको कैलवरी माउंट, कुलामावु, पालकुलमेडु और नेदुमकंदम हिल की यात्रा अवश्य करनी चाहिए। उन लोगों के लिए जो प्रकृति को एक चार- दीवारी संरचना में फ्रेम करना पसन्द करते हों, वे हिल व्यू पार्क, थुम्पची कैलवरी समुच्यम और पेनावु की यात्रा करना न भूलें।