कन्नूर, जो इसके प्राचीन नाम कन्नानोर के नाम से अधिक लोकप्रिय है, केरल का एक उत्तरी जिला है जो यहां की जीवंत संस्कृति और समृद्ध विरासत के लिए प्रसिद्ध है। यह क्षेत्र, पश्चिमी घाट और अरब सागर के साथ अपनी सीमाओं को साझा करता है, जहां प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक परंपराओं को दर्शाया जाता है।
प्राचीन काल के दौरान,यह जिला सांस्कृतिक और धार्मिक क्षेत्रों के अलावा, मालाबार क्षेत्र का एक व्यावसायिक केंद्र भी हुआ करता था। कन्नूर में कई साम्राज्यों की संस्कृति झलकती है जो इस क्षेत्र को उनकी शक्ति और जज्बे की भूमि बयां करती है।
इस जगह का इतिहास बाईबिल काल के दौरान से ही अस्तित्व में पता चलता है, कहा जाता है कि राजा सुलैमान, कन्नूर के तटों पर ही अपने जहाजों के लंगर डलवाते थे। डच, पुर्तगालों, मैसूर सल्तनत और ब्रिटिश के आक्रमणों की लम्बी दास्तानों ने इस क्षेत्र के इतिहास को अभूतपूर्व दिशा में बदल दिया है।
लोकगीतों और समुद्र तटों की भूमि
अक्सर परम्परागत ज्ञान और बुनाई की भूमि कहा जाने वाला कन्नूर, अपनी अनूठी कपड़ा बनाने की विधि और मंदिरों में गाए जाने वाले लोकगीतों के रूपों जैसे - थेय्यट्टम आदि के कारण पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित करता है। कन्नूर के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में सुंदरेश्वरा मंदिर, कोट्टियूर शिव मंदिर, ओरफाझहास्सी कावु मंदिर, श्री माविलयक्कावु मंदिर, श्री राघवपुरम मंदिर, श्री सुब्रहामण्यम स्वामी मंदिर और किझाक्केकारा श्री कृष्णा मंदिर हैं।
कन्नूर सबसे अच्छा जाना जाता है और यहां के रेतीले तट, क्षेत्र के विशाल हिस्सों में फैले हुए हैं जो आने वाले पर्यटकों को आराम और खुशी दोनों प्रदान करते हैं। कन्नूर क्षेत्र के सबसे प्रसिद्ध तटों में से पय्यमबालम तट, मीनकुन्नू तट, किझुन्ना इझारा तट और मुझुप्पीलंगढ तट प्रमुख हैं।
जायके की विरासत और विरासत का जायका
कन्नूर की विशाल ऐतिहासिक इमारतों और सर्वाधिक मोहक पाक संस्कृति के कारण, इसे केरल के मॉडेम इतिहास में चिह्नित किया गया है। यहां का गुनडर्ट बंगला, हॉली ट्रिनिटी कैथेड्रल और फोर्ट सेंट एंजेलो, औपनिवेशक शासनकाल के दौरान क्षेत्र की तत्कालीन स्थिति और महिमा का बखूबी वर्णन करते हैं।
इस क्षेत्र के जायके, भोजन प्रेमियों के लिए स्वर्ग समान हैं जो उन्हे कभी न भूल पाने वाले स्वाद से रू-ब-रू करवाते हैं। थलास्सेरी दम बिरयानी, यहां का सबसे लाजबाव व्यंजन है जिसे हर पर्यटक को अपने जीवन में कम से कम एक बार तो अवश्य चखना चाहिए। वैसे जवान पर चटकारे दिलाने वाली और भी डिश यहां है जो क्षेत्र के जायकों को खुद में समेटती हैं जैसे - अरी उंडा, नेय्पैथरी, उन्नक्काया, पझहम निराचहाथु, एलायादा, कालाथप्पम और किन्नाथाप्पम।
कैसे पहुंचे कन्नूर
कन्नूर, भारत के सभी भागों से रेल और सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुडा हुआ है। तटीय बेल्ट की निकटता के कारण, यहां का मौसम साल भर सुखद जलवायु प्रदान करता है, पर्यटक साल के किसी भी दौर में इस क्षेत्र की सैर कर सकते हैं। यहां के शानदार नजारों और समृद्ध विरासत के निशान के साथ कन्नूर, पर्यटकों को छुपे हुए अनुभवों और आश्चर्यो की इस दुनिया में हमेशा आमंत्रित करता है।